नींद मेरी उड़े तो उससे भी न सोया जाए।
मैं राजा जैन एक कोलकाता निवासी हूँ। मुझमें लिखने की चाहत स्कूल
लाइफ में ही जाग्रत हो गई थी लेकिन दुनियादारी और परीवार की ज़िम्मेदारियों के कारण लिखने पर विराम लग गया था। इन परिस्थितियों के बावजूद, मैं पिछले एक साल से ज़ेहन से निकले ख्यालों को कागज़ पर उतार रहा हूँ। मेरी पहली किताब मैं अपने चाहने वालों को नज़र करना चाहता
हूँ। इस किताब की एक भी पंक्ति किसी के काम आ जाए तो मेरा प्रयास सफ़ल हो जाएगा
ज़िन्दगी के तजुर्बे बयां करता हूं, ज़िक्र आप का भी है।
आईना देख रहा था मुझे और मैं आईने को,
आईना आज़मा रहा था मुझे और मैं आईने को।।