""जो गुज़र गयी
क़रीब से वो मेरी ज़िन्दगानी थी,
जिसको समझा गया
फ़रेब वो हक़ीकत भरी कहानी थी....!!""
जी हाँ.... मोहब्बत और ज़िन्दगी से खचाखच भरे ऐसे ही ताने-बाने पर रखी गयी है इस ग़जलों के संग्रह की बुनियाद।
मतलब ""cc"" में हमारे सामान्य वर्ग की युवा पीढ़ी के दिल की ख़्वाहिशों, ज़ज़्बातों, और तबाही से मुख़ातिब कराती हुयी मेरे टूटे-फूटे अल्फ़ाज़ों की एक अदना सी कोशिश है।
हालांकि मैं कोई सुर्ख़-रू अन्दाज़ ग़ज़लकार नहीं हूं, फिर भी मैंने युवा वर्ग के हस्सास व ज़ेहन की तबियत को लफ़्ज़ों के हार में पिरोकर रखने की मज़लूम सी गुस्ताख़ी की है।
मैं कहना चाहता हूँ किस कदर युवा किसी सूरत या सीरत के गिरदाब-ए-ज़ज़्ब में आकर अपनी तमाम मशरूफियत को किनारे कर देता है।
किस तरह अपने महबूब की कुरबतों की ख़ातिर एक वहशतियाना अन्दाज़ इख़्तियार कर लेता है
नाम - डॉ• अनिरुध्द सेठी
स्थान - बड़ोदरा (बड़ोदा), गुजरात
व्यवसाय - लेखक, कवि, निवेशक, सामाजिक कार्यकर्ता
नज़्मों की इस किताब के क़लमकार डॉ• अनिरुध्द सेठी बेशक़ कविता-शायरी की विधा में थोड़ा नये लगेंगे आपको, लेकिन लेखन की दुनिया में वो पहले ही अपना लोहा मनवा चुके हैं।
जी हाँ, इस ग़ज़ल-संग्रह ""अल्फ़ाज़ों के फ़क़ीर"" के अलावा निवेश बाजार व प्राचीन इतिहास से जुड़ी लगभग आधा दर्जन से ज्यादा क़िताबों के ज़रिये लोगों के ज़ेहन में अपनी मुस्तक़िल जगह बना चुके हैं।
इन सबके अलावा वो एक बेहद ही प्रतिभावान, शालीन व कृपालुता से धनी व्यक्तित्व के मालिक हैं जो उन्हें एक अत्यंत श्रेष्ठ इंसान बनाता है।
वो धर्मार्थ व मानव हित के ख़ातिर सदा कुछ न कुछ करते ही रहते हैं, जिस वज़ह से समाज़ व लोगों के दरमियान में डॉ• अनिरुध्द सेठी जी का नाम सदैव सम्मान व प्रेम के साथ लिया जाता है।
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