पुरानी कहावत है- जन्म से पूर्व ईश्वर बच्चे के कान में कहता है, ‘मैंने तुम्हें अपनी तरह बनाया है; इसे आज की भाषा कहा जाएगा, ‘तुम खास हो, बिंदास हो’ यानी बिन दास, बिन दास्य, बिना गुलामी के।
इंसान सबसे बड़ा गुलाम अपने शरीर का, अपनी इंद्रियों का है। इंद्रियों का गुलाम बनकर वह तरह-तरहके विकारों से शरीर को कूड़ादान बना देता है। जब इंसानी जन्म का असली उद्देश्य मालूम पड़ता है तो वह इस गुलामी से मुक्त होना चाहता है। जब जागृति आती है तो अंदर भरे कचरे को वह खाली करना चाहता है। फिर शुरुआत होती है ‘बिंदास’ यानी बिना किसी का दास बने, आज़ाद जीवन की।
यह आज़ाद जीवन विकारों के कैद से आज़ादी की अवस्था है, जो थोड़ी सी जागृति के साथ हर कोई पा सकता है। यह संदेश आपको खाली होने की कला सिखाएगी, जिससे आप मन की गुलामी पर मात कर, एक तनावमुक्त, बिंदास जीवन जी पाएँगे। इसमें हम जानेंगे -
* सेल्फ डेवलपमेंट से सेल्फ रियलाइजेशन कैसे पाएँ
* ध्यान के साथ कर्म कैसे करें
* अपनी मौलिकता कैसे सँभालें
* हर लाइलाज बीमारी का इलाज क्या है...
और ऐसी कई अनोखी बातें, जो आपको तनावमुक्त, बिंदास जीवन की ओर ले जाएँगी।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।