CHOUNDAKA

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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देवदासी स्त्रियांची होरपळ

आपल्या समाजातील देव, धर्म, अनिष्ट, रूढीपरंपरांचा बळी म्हणजे देवदरासी. "जागतीण देवाची, मालकी गावाची' ही आपल्या बोलीतील म्हण तिच्या जगण्याचं सार सांगते.देवाच्या नावावर समाजातील राक्षसी वृत्तींनी निर्माण केलेल्या प्रथेच्या बळी ठरलेल्या देवदासी स्त्रियांची होरपळ "चौंडकं' ही कादंबरी वाचकांसमोर ठेवते. स्त्री-दु:खाचा नेमका वेध, बोलीची सर्व सामथ्र्य पचवून राजन गवस यांनी "चौंडकं'मध्ये घेतला आहे. "सुली'च्या व्यक्तिरेखेतून एक ठसठशीत वेदना आपल्यासमोर येते. देवदासीच्या जगण्यातील सर्व दु:ख आणि तिच्या समस्यांचा वेध घेणारी कादंबरी म्हणून "चौंडकं'ची नोंद विशेषत्वानं करावी लागेल. 

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