मैं अपनी पहली किताब के जरिए आज कल की महोब्बत का जिक्र कर रही हूँ कि आजकल हम जानते नही सही मायनों में महोब्बत है क्या ? आजकल महोब्बत मे औकात की बातें,, बेवफाई की बातें ,, अपने मतलब की महोब्बत और सबसे आम "जिस्म" , और ना जाने महोब्बत के नाम पर क्या क्या चल रहा है और जो सच्ची महोब्बत करते है लोग उन्हे पत्थर दिल कैसे बना देते है और आज कल की सबसे भारी समस्या "ङीपरेशन" में कैसे ङाल देते है । हालाँकि ये कहानी चाँदनी की एक अधूरी दासताँ है पर इस जहाँ में मुकम्मल तो कुछ भी नही है । लोगो ने महोब्बत को मजाक बना दिया है या शायद जिससे हम प्यार करते है वो किसी ओर से और जो हमसे करते है हम उन पर कभी ध्यान ही नही देते । इस नावल में आपको चाहत,, धोखा,, टूटता विश्वास और झूठी दोस्ती सबके जिक्र की झलक देखने को मिलेगी । चाहत को समझने के कई मायने हो सकते है,, पर जहाँ समझ से रिश्ता चले वहाँ चाहत कैसी ।
मैं "चाहत कंचन" एक लेखिका तो नही पर बनने के सफर में हूँ । मैं वो लिखती हूँ जो मेहसूस करती हूँ और जो हकीकत है । मेरा जन्म 31 अक्तूबर को हुआ । मैं जो हूँ सिर्फ अपनी माँ से ; मेरा खुद का कोई वजूद नही ,,जो हूँ सिर्फ "कंचन" से हूँ । "कंचन" मेरी माँ का नाम है । मेरी दुनिया है मेरी "माँ" मेरे लिए । मुझे विज्ञान में बहुत रूचि है । मैने अपनी 12वी की कक्षा विज्ञान के क्षेत्र में प्राप्त की है । मुझे लिखने की प्रेणा खुद में कहीं छुपे दर्द से मिली है । वक्त ने वक्त से पहले कई बातें सीखा दी है पर मेरा मानना है ज्यादा समझदारी अकसर मुस्कुराहटें दूर कर देती है तो बेहतर है बच्चे बने रहना । मैं कोई खास बहुत बड़ी लेखिका नही हूँ या जिंदगी में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल नही मुझे पर जो हूँ बस सच हूँ । थोङी गुस्से वाली हो सकती हूँ पर फरेब नही । अपने बारें में इतना जानती हूँ कि सिर्फ गलतियों से सीख कर बनी हूँ मैं और कुछ नही हूँ मिट्टी के सिवा । ज्यादा अपने बारें में कुछ बताना नही चाहती और एक बंद किताब हूँ सिर्फ शब्दो से दर्द लिख सकती हूँ दर्द का एहसास नही ।