डॉ मिश्रा जी का जन्म 1967 में काशी वाराणसी के कुढवां नामक ग्राम स्थान पर एक ब्राह्मण कुल में हुआ है। उनके दादाजी पंडित लालमणि मिश्रा आचार्य जी जो कर्मकांड एवं ज्योतिष के प्रकांड पंडित थे अतः ज्योतिष शास्त्र में इन्हें पैतृक विरासत में ही मिल गया। प्रारंभिक शिक्षा गांव में पूर्ण करने के बाद में संस्कृत की शिक्षा हेतु प्रयागराज गए फिर ज्योतिष एवं कर्मकांड की उच्च शिक्षा हेतु काशी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया वहां से अच्छे अंकों में ब्याकरणाचार्य एवं ज्योतिषाचार्य करने के बाद एक व्यावसायिक ज्योतिषी बन गए एवं जिज्ञासा कि बिपाशा अब भी शांत न हुई तो डॉ मिश्रा जी ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से विद्या वारिधि पीएचडी काशी की उपाधि हासिल की। डॉ मिश्रा जी ने वैदिक ज्योतिष एवं संस्कृत की ही औपचारिक शिक्षा ली थी परन्तु स्वाध्याय एवं पैतृक विरासत से ज्योतिष की कई रहस्यमई कलाएं अर्जित कर ली जो सामान्य ज्योतिषियों के बूते से बाहर है सम्यक मार्गदर्शन ग्रहण का सूक्ष्म से सूक्ष्म विश्लेषण मधुर एवं सुमधुर मंत्र उच्चारण तथा सारगर्भित दर्शन आदि अंगूठी योग्यताओं के कारण भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व में लोक. प्रियता हासिल अब डॉ मिश्रा जी ज्योतिष एवं कर्मकांड के एक प्रशिक्षक भी बन गए हैं अत इन्हें आदर से आचार्य भी कहते हैं प्रत्यक्ष परोक्ष रूप में हजारों से भक्त आचार्य जी से ज्योतिष की शिक्षा भी ले रहे हैं और मां सावित्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संस्थापक डॉ मिश्रा जी अपने संस्था के संचालन में अपनी सहयोगी शिक्षकों को भी मदद लेते हैं डॉ मिश्रा जी एक कुशल लेखक प्रभावशाली वक्ता के साथ-साथ अच्छे मार्गदर्शन भी हैं।