यहाँ नदियाँ माता का आशीष हैं तो पहाड़ पिता का पुण्य है। हमारे पूर्वजों ने देश की दुर्गम और अलंघ्य पर्वत-श्रृंखलाओं में तीर्थयात्राओं के लिए कई स्थलों को जाग्रत् एवं तपस्थल का रूप दिया। भगवान् राम राज्याभिषेक के पूर्व तीर्थाटन करते हैं तो पांडव भी तीर्थयात्रा करते हैं। जीवन में सनातन की खोज ही भारतीय का लक्ष्य रहा और सनातन के तत्त्वों को तीर्थ, पर्व, उत्सव, और यात्राओं ने प्रगाढ़ किया है।
सनातन संस्कृति और परंपराओं का दिग्दर्शन करवाती ज्ञानवर्धक पठनीय पुस्तक ।