मैं अपने गुरुदेव डॉ. सुनील कुमार दुबे और ममतामयी गुरु माता श्रीमती उषा रानी पाण्डेय का आभार मानता हूँ जिनकी प्रेरणा, प्रोत्साहन, स्नेह एवं मृदुल स्वभाव से प्रेरित होकर मैं निरंतर लेखन कार्य में संलग्न रह कर लेखन को पूर्णता प्रदान कर सका।
मैं आभार व्यक्त करता हूँ सास-ससुर श्रीमती रंजु देवी एवं श्री देवनंदन मिश्रा जी का
जिनके प्रोत्साहन से प्रेरित होकर मैंने यह कार्य करने का दृढ़ निश्चय किया और उन्हीं के
आशीर्वाद से यह पुस्तक प्रकाशित हो सका। अन्नदा उच्च विद्यालय के सचिव डॉ. सजल मुखर्जी के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ जिनकी प्रेरणा और सहयोग से यह महत्त्वपूर्ण लेखन संभव हो सका।
अर्धांगिनी श्रीमती भानु बाला भारती मेरे लेखन तथा पुस्तक प्रकाशन तक में सदैव
मानसिक एवं बौद्धिक बल प्रदान करती रही हैं। गृह कार्य भार से मुझे स्वतंत्र कर मानसिक बल प्रदान करती रहीं, उनके लिए मैं सदैव आभारी रहूँगा। मेरे आँखों के तारे आत्मजा दिव्या भारती एवं आत्मज केतन कृत का प्यार स्नेह लगातार मिलता रहा, जिससे मैं आनंदमय वातावरण में लेखन कार्य कर सका। इस सहयोग के लिए उन्हें ढेर सारा आशीष एवं प्यार। हिंदी विभाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के सभी गुरुजनों और मित्रों का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मेरे तमाम शुभचिंतकों भाई-बहन चाचा-चाची तथा
रिश्तेदार जिन्होंने पल-पल प्रेरणा दी वह भी इस पुस्तक की पूर्णता के सहायक अंश हैं। डॉ. सुनील कुमार दुबे समस्त परिवार के प्रति मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। जिनकी प्रेरणा सकारात्मक सुझाव, आर्थिक सहयोग, मानसिक परितृप्ति से इस पुस्तक को पूर्ण करने में काफी सहायता मिली हैं। श्री अंकुर शर्मा, परिमल प्रकाशन प्रयागराज के प्रति विशेष आभारी हूँ जिन्होंने पूर्ण मनोयोग से सेवा प्रदान कर मुद्रण (प्रकाशन) की अपनी जिम्मेदारी पूर्ण की और ससमय कार्य संपादित किया। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी लौकिक और अलौकिक शक्तियों से आंतरिक प्रेरणा प्राप्ति के लिए मैं उनके प्रति हार्दिक आभारी हूँ।
(साकेत कुमार पाठक)
साकेत कुमार पाठक
हजारीबाग झारखण्ड
Parimal Prakashan
Allahabad