“साहस और अतिसाहस मे काफी अंतर है, इस पर गहन चिंतन करे |”– डॉ. सुहास रोकड़े
मै बस एक जिज्ञासु हूँ | पढ़ना, लिखना, और चिंतन करना मेरा नित्य कर्म है | 100 से अधिक पुस्तको का प्रकाशन हुआ यह तो निखिलेश्वरानन्द्जी की कृपा है | जीवन के कुछ प्रश्नो के उत्तर ढूँढने ज्योतिष की और एक कदम बढ़ाया और सद्गुरुशिवरूपी ने यहा तक पहूँचाया | जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया इस महासागर मे एक से बढ़कर एक ज्ञान के रत्न मिले | वैदिक, केपी, हस्तरेखा, डाउजिंग, रेकी, वास्तु, रमल, टेरोट जैसे अद्भुत गूढ संसार मे मन-मस्तिस्क मग्न हुआ | डिजिटल की दुनिया ने आप से रूबरू किया | कम्प्युटर मैनेजमेंट के बाद गुरु आदेश से ज्योतिषशास्त्र मे डॉक्टरेट पूर्ण हुई | ज्योतिष मार्गदर्शन, लेखन के साथ डेवलपमेंट, ई-लर्निंग का भी कार्य शुरू है |