यह पुस्तक "ग्रामीण भारत का परिदृश्य" भारतीय गाँवों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करती है। लेखक सुनील कुमार तंतुजाय ने ग्रामीण परिवेश की सुंदरता, सरलता और संघर्षों को विस्तार से उकेरा है। इसमें ग्रामीण जीवन की परंपराएँ, रीति-रिवाज, कृषि-व्यवस्था, पशुपालन, लोककला तथा ग्राम समाज की जीवन शैली का जीवंत वर्णन है। यह पुस्तक पाठकों को गाँवों की असल तस्वीर से जोड़ती है और यह दर्शाती है कि ग्रामीण भारत न केवल कृषि प्रधान है बल्कि हमारी संस्कृति और मूल्यों का आधार भी है। शोधार्थियों, विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कृति है।
Ciencia ficción y fantasía