इन बातों से बेखबर पार्थ अपने पापा को लूजर समझता है। लेकिन पार्थ की मम्मी 'यादों की अलमारी' के जरिए अनुराग को पार्थ की नजरों में हीरो बनाना चाहती है। अब अनुराग हीरो बनेगा या जीरो ही रह जाएगा? ये बात तो वक्त ही बताएगा। लेकिन ये कहानी साबित करती है कि ये दुनिया सच में गोल ही है, क्योंकि आज मिला हुआ कोई अजनबी कल फिर से जरूर टकराता है और जिंदगी में कुछ हलचल कर जाता है।