Suhagan

· BFC Publications
Ebook
155
Pages
Ratings and reviews aren’t verified  Learn More

About this ebook

मोनिका स्वतंत्र और स्वच्छन्द विचारों वाली लड़की है। रहीस मां-बाप की बेटी ज्यादा ही लाड़-प्यार में पली है। वह इसी तरह जीना चाहती है। ‘नाइट क्लब’ में नाचना-गाना और शराब के साथ सिगरेट का कश लगाते हुए मौज-मस्ती करने वालों को वह सभ्य और सुसंस्कृत समझती है। वस्त्र तन ढँकने के लिये नहीं बल्कि आधुनिक सभ्यता का दिखावा और एक-दूसरे से ईर्ष्या तथा स्पर्धा में आगे निकल जाना उसे अच्छा लगता है। बड़े-बुजुर्गों से भी हॉय-हॅलो करते हुए आँख और उंगलियों से इशारा करना ही उसकी आदत हो गई है। नीलिमा मध्यम परिवार की ‘लॉ ग्रेजुएट’ और सनातनी संस्कृति में बड़ी हुई युवती है। छोटे-बड़ों का लिहाज करना तथा नमस्कार और हाथ जोड़कर नमस्कार करते हुए बड़े-बूढ़ों का सम्मान करना वह अपना कर्तव्य मानती है। अपने स्वाभाविक व्यवहार और आचरण से एक मिलनसार युवती है नीलिमा। संजय एक उद्योगपति का इकलौता बेटा है। फैक्ट्री का कारोबार देखता है। सरल स्वभाव तथा सनातन संस्कृति पसंद करता है। उसकी माँ सूखाला हाई सोसायटी में पली-बड़ी हुई महिला है। वह संजय की शादी मोनिका से करवाने का निर्णय ले चुकी होती है, लेकिन संजय माँ के विचारों से विपरीत है, इसलिये वह नीलिमा से माता-पिता को बिना बताये चुपचाप शादी कर घर ले आता है, लेकिन उजागर नहीं होने देता कि नीलिमा उसकी पत्नी है।

समय बीतता जाता है और नीलिमा एक सच को ढँकने के लिये सौ-सौ झूठ के सहारे से परेशान हो जाती है। एक दिन इनकी शादी की बात संजय की दादी को अनजाने मालूम हो जाती है। संजय के दादा-दादी शुरू से ही नीलिमा को देख आस लगाये रहते हैं कि नीलिमा जैसी ही सुशील और सुन्दर सी उनकी ‘नात-बहू’ होती तो कितना अच्छा होता, संजय के जीवन में खुशहाली आ जाती। मोनिका की माँ को इस बात की भनक लग जाती है और वह अपनी सहेली संजय की माँ को अपने पक्ष में कर नीलिमा को घर से निकालने के लिये षड़यंत्र रचकर नीलिमा को क्षति पहुँचाने की चेष्टा करती है लेकिन सफल नहीं हो पाती। नीलिमा अन्याय का डटकर मुकाबला करते हुए संजय के दादा-दादी और पिता का मन जीत लेती है। अंत में मोनिका का वास्तविक रूप समाने आने पर संजय की माँ भी हार जाती है और अपनी भूल स्वीकार कर संजय और नीलिमा को सीने से लगा लेती है।


About the author

हरिपद डे

मेरा जन्म 22 अक्टूबर, 1947 में पूर्व बंगाल के चिटगांव केलिशहर पोटिया था के क्षेत्र में हुआ। भारत विभाजन के समय 1948 में मेरे माता-पिता परिवार के साथ कलकत्ता आ गये। मैं कक्षा 1 से कक्षा 4 तक सरेखा प्राइमरी जनपदशाला बालाघाट, मध्य प्रदेश फिर कक्षा 5वीं से मैट्रिक तक जगन्नाथ हाई स्कूल तथा गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, छिन्दवाड़ा, मध्य प्रदेश में वर्ष 1966-67 में बी0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण कर वर्ष 1968 में पी0एण्डटी0 ऑडिट ऑफिस नागपुरा महाराष्ट्र में लिपिक के पद पर नियुक्त हुआ। वर्ष 2007, अक्टूबर माह में सहायक लेखा-परीक्षा अधिकारी (राजपत्रित) पद से सेवानिवृत्त हुआ। कक्षा 8वीं से ही मैं हिन्दी में लघुकथा तथा कविता लिखकर सहपाठियों को पढ़ने के लिये दिया करता था। मेरे सहपाठी कहा करते थे- मित्र लिखते रहना। 11 वर्ष की आयु में मैंने रंगमंच में अभिनय करना शुरू किया था, अभी भी अभिनय करना और देखना अच्छा लगता है। सरकारी सेवा में रहते हुए मैं स्वयं नाटक लिखकर मंचन किया करता था, दर्शक बंधुओं की प्रशंसा का पात्र, पुरस्कृत होकर पाता था। मेरे पिता स्व0 निकुंजबिहारी डे बंगला रंगमंच के जाने-माने कलाकार थे। विदर्भ साहित्य संघ- नागपुर के साप्ताहिक कवि सम्मेलन में स्वयं रचित कवितायें सुनाकर प्रशंसा का पात्र बना। 75 वर्ष की आयु में मेरी बहू से बंगला लेखन तथा पढ़ना सीखकर वर्ष 2024 में दो बंगला पुस्तक ‘बासंती पद्म’ लाल माटीर संस्कृति के साथ दो बंगला कवितायें ‘भिखारी और लेखकेर कथा’ कार्पोरेट पब्लिसिटी, बशीर हॉट पश्चिम बंगाल तथा वर्ष 2022 से अप्रैल 2025 तक बीएफसी पब्लिकेशंस, लखनऊ से हिन्दी में ‘कल्पना आधार’, ‘मिली लिली’, ‘मेरी सास की शादी’, ‘लेडी एडवोकेट’ तथा ‘मवाली लड़की’ प्रकाशित हुई। हिन्दी और बंगला में कविता, गीत और कहानी लिखता रहता हूँ। मैं कहानी के माध्यम से युवा लड़कियों तथा महिलाओं की समस्याओं को उजागर करने का प्रयत्न करता रहता मो0- 9422812374

पता- वेणुवन कॉलोनी, फ्रेण्ड्स कॉलोनी के समीप, काटोल रोड, नागपुर-440013

Rate this ebook

Tell us what you think.

Reading information

Smartphones and tablets
Install the Google Play Books app for Android and iPad/iPhone. It syncs automatically with your account and allows you to read online or offline wherever you are.
Laptops and computers
You can listen to audiobooks purchased on Google Play using your computer's web browser.
eReaders and other devices
To read on e-ink devices like Kobo eReaders, you'll need to download a file and transfer it to your device. Follow the detailed Help Center instructions to transfer the files to supported eReaders.