समय बीतता जाता है और नीलिमा एक सच को ढँकने के लिये सौ-सौ झूठ के सहारे से परेशान हो जाती है। एक दिन इनकी शादी की बात संजय की दादी को अनजाने मालूम हो जाती है। संजय के दादा-दादी शुरू से ही नीलिमा को देख आस लगाये रहते हैं कि नीलिमा जैसी ही सुशील और सुन्दर सी उनकी ‘नात-बहू’ होती तो कितना अच्छा होता, संजय के जीवन में खुशहाली आ जाती। मोनिका की माँ को इस बात की भनक लग जाती है और वह अपनी सहेली संजय की माँ को अपने पक्ष में कर नीलिमा को घर से निकालने के लिये षड़यंत्र रचकर नीलिमा को क्षति पहुँचाने की चेष्टा करती है लेकिन सफल नहीं हो पाती। नीलिमा अन्याय का डटकर मुकाबला करते हुए संजय के दादा-दादी और पिता का मन जीत लेती है। अंत में मोनिका का वास्तविक रूप समाने आने पर संजय की माँ भी हार जाती है और अपनी भूल स्वीकार कर संजय और नीलिमा को सीने से लगा लेती है।
हरिपद डे
मेरा जन्म 22 अक्टूबर, 1947 में पूर्व बंगाल के चिटगांव केलिशहर पोटिया था के क्षेत्र में हुआ। भारत विभाजन के समय 1948 में मेरे माता-पिता परिवार के साथ कलकत्ता आ गये। मैं कक्षा 1 से कक्षा 4 तक सरेखा प्राइमरी जनपदशाला बालाघाट, मध्य प्रदेश फिर कक्षा 5वीं से मैट्रिक तक जगन्नाथ हाई स्कूल तथा गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, छिन्दवाड़ा, मध्य प्रदेश में वर्ष 1966-67 में बी0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण कर वर्ष 1968 में पी0एण्डटी0 ऑडिट ऑफिस नागपुरा महाराष्ट्र में लिपिक के पद पर नियुक्त हुआ। वर्ष 2007, अक्टूबर माह में सहायक लेखा-परीक्षा अधिकारी (राजपत्रित) पद से सेवानिवृत्त हुआ। कक्षा 8वीं से ही मैं हिन्दी में लघुकथा तथा कविता लिखकर सहपाठियों को पढ़ने के लिये दिया करता था। मेरे सहपाठी कहा करते थे- मित्र लिखते रहना। 11 वर्ष की आयु में मैंने रंगमंच में अभिनय करना शुरू किया था, अभी भी अभिनय करना और देखना अच्छा लगता है। सरकारी सेवा में रहते हुए मैं स्वयं नाटक लिखकर मंचन किया करता था, दर्शक बंधुओं की प्रशंसा का पात्र, पुरस्कृत होकर पाता था। मेरे पिता स्व0 निकुंजबिहारी डे बंगला रंगमंच के जाने-माने कलाकार थे। विदर्भ साहित्य संघ- नागपुर के साप्ताहिक कवि सम्मेलन में स्वयं रचित कवितायें सुनाकर प्रशंसा का पात्र बना। 75 वर्ष की आयु में मेरी बहू से बंगला लेखन तथा पढ़ना सीखकर वर्ष 2024 में दो बंगला पुस्तक ‘बासंती पद्म’ लाल माटीर संस्कृति के साथ दो बंगला कवितायें ‘भिखारी और लेखकेर कथा’ कार्पोरेट पब्लिसिटी, बशीर हॉट पश्चिम बंगाल तथा वर्ष 2022 से अप्रैल 2025 तक बीएफसी पब्लिकेशंस, लखनऊ से हिन्दी में ‘कल्पना आधार’, ‘मिली लिली’, ‘मेरी सास की शादी’, ‘लेडी एडवोकेट’ तथा ‘मवाली लड़की’ प्रकाशित हुई। हिन्दी और बंगला में कविता, गीत और कहानी लिखता रहता हूँ। मैं कहानी के माध्यम से युवा लड़कियों तथा महिलाओं की समस्याओं को उजागर करने का प्रयत्न करता रहता मो0- 9422812374
पता- वेणुवन कॉलोनी, फ्रेण्ड्स कॉलोनी के समीप, काटोल रोड, नागपुर-440013