तमाम योजनाओं और आर्थिक सहायता मुहैया कराने के बावजूद, छोटे किसानों का जीवन अभी भी खुशहाली से दूर है। अन्नदाता कहकर किसानों का सम्मान ज़रूर किया गया लेकिन उनके सामने आ रही रोज़-ब-रोज़ की समस्याओं का कोई बुनियादी हल नहीं निकल सका । अपने अधिकारों और अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह सजग किसान अपने हितों की ख़ातिर आवाज़ उठाने के लिए सड़कों पर आ गये हैं। सच और सम्भावनाओं के बीच से गुज़रता हुआ यह उपन्यास किसानों के जीवन के कई ऐसे कथा-चित्र हमारे सामने रखता है जिन्हें पढ़ना अपने आप को किसानों के प्रति संवेदनशील बनाना है।
माटी-राग उपन्यास का मुख्य किरदार सुमेर सिंह किसानों के लिए एक ऐसी दुनिया रचना चाहता है जहाँ किसान को खुदकुशी न करनी पड़े और जहाँ किसान अपनी ज़मीन पर पूरे विश्वास के साथ फ़सल उपजा सके ।
हरियश राय -
कथा-लेखन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नाम
प्रकाशित पुस्तकें : नागफनी के जंगल में, मुट्ठी में बादल और दहन (उपन्यास); बर्फ़ होती नदी, उधर भी सहरा, अन्तिम पड़ाव, वजूद के लिए, सुबह-सवेरे, किस मुकाम तक व महफ़िल (कहानी-संकलन) ।
सामयिक विषयों से सम्बन्धित पाँच अन्य किताबें : भारत-विभाजन और हिन्दी उपन्यास, सूचना तकनीक, बाज़ार एवं बैंकिंग, समय के सरोकार, शिक्षा, भाषा और औपनिवेशिक दासता, भाषा नीति और लोक हित प्रकाशित ।
कथा-आलोचना की तीन किताबें : कथा : एक यात्रा, कथा : सान्निध्य व कहानी: आज प्रकाशित।
भीष्म साहनी : सादगी का सौन्दर्यशास्त्र व कथा-कहानी-एक का सम्पादन ।
सम्पर्क : डीएलएफ फेज़-3, कुतुब एन्क्लेव, गुरुग्राम, हरियाणा-122002