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· Prabhat Prakashan
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À propos de cet ebook

<p>"तपस्या- कितना गहरा शब्द है यह समुद्र की तरह, और कितनी ऊँचाई लिये है यह पर्वत की तरह, निःस्तब्ध और शांत है यह आकाश की तरह, सबकुछ सहन करता पृथ्वी की तरह। तपस्या और तुम - एक शब्द, एक व्यक्तित्व हो। तुम्हारा हर शब्द एक आकार, एक व्यक्तित्व और एक चेतनामयी प्रतिमान बन जाता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास बैठकर एक अनिर्वचनीय अनुभूति और आनंद मिलता है, एक अलग रिश्तों का एहसास होता है। तुम एक ही हो दोस्त!" कहते-कहते लेखनी की आँखों में दर्प-सा आ गया।&nbsp;</p><p><b>- इसी पुस्तक से</b></p><p>समकालीनता की छाँव में पल्लवित इन कहानियों में आज के तत्त्वों और जीवन-मूल्यों का समावेश है। समाज के दर्द और व्यक्ति की पीड़ा को व्यक्त करती ये कहानियाँ एक दर्पण की तरह हैं, जिसमें बदलते मूल्यों का अक्स है। कहीं पात्रों में एकाकीपन, उलझन, आशा-निराशा के बीच जूझती संवेदनाएँ हैं तो कहीं अपमान, असुरक्षा, दमन एवं शोषण से मुक्ति पाने की छटपटाहट है। कुल मिलाकर ये कहानियाँ रोचक, मनोरंजक एवं पठनीय हैं।</p>

Quelques mots sur l'auteur

<p><b>डॉ. करुणा पांडे </b>साहित्य जगत् की एक लब्धप्रतिष्ठ रचनाकार हैं। एक शिक्षाविद् के रूप में बाईस वर्षों तक कार्य किया। अभी तक तीन उपन्यास, नौ कहानी-संग्रह, एक लघुकथा-संग्रह, एक दोहा-संग्रह, तीन कविता-संग्रह, एक रेखाचित्र, एक बालगीत-संग्रह, बीस बाल कहानी-संग्रह, एक विलोम शब्दकोश, रामकथा पर शोधग्रंथ, कुमाऊँ की लोक संस्कृति पर पाँच पुस्तकें, जगद्‌गुरु शंकराचार्य और महात्मा बुद्ध की जीवनी, एक निबंध-संग्रह, भारत निर्माण में आदिवासियों का योगदान आदि उत्कृष्ट पुस्तकें लिखी हैं।</p><p>इनके अतिरिक्त नदियों में भारतीय संस्कृति, राजा राममोहन राय, लोकगीतों की छाँव : जनजाति का गाँव, बाल मनोविज्ञान पर आधारित उपन्यास 'एक बच्चे की डायरी' के साथ ही नौ पुस्तकों का संपादन भी किया है। वे निरंतर सामाजिक कार्य और काउंसलिंग में संलग्न रहती हैं। कई संस्थाओं की संरक्षक भी हैं; अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित ।</p><p><b>स्थायी पता :</b> 2/62सी विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ-226010 (उ.प्र.)</p>

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