मेरे वालिद साहब जनाब हाजी रहमत अली अंसारी और वालिदा का नाम मोहतरमा ज़ाकिया बानो था ।
मेरे तीन बड़े व एक छोटा भाई है ।
मेरे खाविन्द जनाब मुशीर उद्दीन साहब है । दो बेटों -मो अर्शान ,मो अरमान के साथ हमारा खुशहाल परिवार है।
मेरी इब्तेदाई तालीम सिटी मॉटेसरी स्कूल ,स्टेशन रोड ब्रॉच से हुई तथा ग्राजुऐशन कानपुर विश्वविद्यालय से किया ।
मेरे वालिदैन को पढ़ने लिखने का बहुत शौक रहा। वालिदा को उर्दू नॉविल व दीनी किताबें पढ़ने और किताबे लिखना बहुत पसन्द था।
ये उन्ही का अक्स है जो मै भी ये शौक रखती हूँ ।
मै बचपन से कुछ ना कुछ लिखती रही हूँ । जबसे सोशल मीडिया से जुड़ी तब लोगों तक मेरे ख्यालात , जज़्बात पहुँचे , जिसे लोग पसन्द करने लगे और लिखने में मेरी दिलचस्पी बढी़।
17 फरवरी 2021 में मेरी पहली किताब -एहसास -ए- ज़िंदगी (Ahsas E Jindagi)छपी ।
फिर मैनें कोआॅथर्स के साथ साहित्यिक संग किताब में अपनी रचनाये लिखी ।आगे और भी किताबे लिखने का इरादा है ।
ज़िंदगी से मिले तजुर्बात बॉट कर जाना है ……..
अपने ख्यालात के ज़रिये आपके दिलो ज़हन में बस जाना है ।।
मेरा नाम हुमा अंसारी है । मै उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर से ताल्लुक रखती हूँ ।
मेरे वालिद साहब जनाब हाजी रहमत अली अंसारी और वालिदा का नाम मोहतरमा ज़ाकिया बानो था ।
मेरे तीन बड़े व एक छोटा भाई है ।
मेरे खाविन्द जनाब मुशीर उद्दीन साहब है । दो बेटों -मो अर्शान ,मो अरमान के साथ हमारा खुशहाल परिवार है।
मेरी इब्तेदाई तालीम सिटी मॉटेसरी स्कूल ,स्टेशन रोड ब्रॉच से हुई तथा ग्राजुऐशन कानपुर विश्वविद्यालय से किया ।
मेरे वालिदैन को पढ़ने लिखने का बहुत शौक रहा। वालिदा को उर्दू नॉविल व दीनी किताबें पढ़ने और किताबे लिखना बहुत पसन्द था।
ये उन्ही का अक्स है जो मै भी ये शौक रखती हूँ ।
मै बचपन से कुछ ना कुछ लिखती रही हूँ । जबसे सोशल मीडिया से जुड़ी तब लोगों तक मेरे ख्यालात , जज़्बात पहुँचे , जिसे लोग पसन्द करने लगे और लिखने में मेरी दिलचस्पी बढी़।
17 फरवरी 2021 में मेरी पहली किताब -एहसास -ए- ज़िंदगी (Ahsas E Jindagi)छपी ।
फिर मैनें कोआॅथर्स के साथ साहित्यिक संग किताब में अपनी रचनाये लिखी ।आगे और भी किताबे लिखने का इरादा है ।
ज़िंदगी से मिले तजुर्बात बॉट कर जाना है ……..
अपने ख्यालात के ज़रिये आपके दिलो ज़हन में बस जाना है ।।