कम सैनिकों वाली भारतीय सेना की एक गोरखा बटालियन ने दुश्मन की सीमा के काफी अंदर पहली बार हेलिकॉप्टर से किए गए ऑपरेशन में एक ऐसी पाकिस्तानी फौज को हराया, जो संख्या में उससे बीस गुना अधिक थी। भारतीय वायु सेना के लड़ाकों ने एक साहसी हवाई हमले में ढाका के गवर्नर हाउस को निशाना बनाया, जिससे ढाका में पाकिस्तानी सरकार को घुटने टेकने और आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। युद्ध के बाद पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र में युद्ध में घायल हुए चार योद्धा घनिष्ठ मित्र बन गए।
सच्ची कहानियों के इस संग्रह में दिग्गज योद्धा मेजर जनरल इयान कारडोजो बताते हैं कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वास्तव में क्या हुआ था। जीवित बचे योद्धाओं और उनके परिवार के साक्षात्कारों के माध्यम से उन्होंने हर कहानी का जीवंत वर्णन किया है।
आई.एन.एस. खुखरी की त्रासदी और उसके साथ जल में समा जानेवाले साहसी कप्तान से लेकर गोरखा बटालियन के एक कमांडिंग ऑफिसर के नैतिक साहस तक, जिन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का विरोध किया और दुश्मन के ठिकाने पर कब्जा करने की उनकी योजना को अस्वीकृत कर दिया ऐसी कहानियों से पता चलता है कि उन लोगों के मन में क्या चल रहा था, जो जल, थल और नभ में अपने सैनिकों का नेतृत्व इस लड़ाई में कर रहे थे।