इचिरो किशिमि का जन्म 1956 में क्योटो में हुआ था और वह वतर्मान में वहीं निवासरत हैं। अपने हाई स्कूल के दिनों से ही वह दार्शनिक बनने की आकांक्षा रखते थे। 1989 से वह ऐडलर के मनोविज्ञान पर शोध और उन पर लेखन तथा व्याख्यान देते रहे हैं। वह जैपनीज़ सोसाइटी ऑफ़ ऐडलेरियन सायकोलॉजी के प्रमाणित परामर्शदाता एवं सलाहकार के तौर पर मनोवैज्ञानिक क्लीनिकों में युवाओं को सलाह देने का काम भी करते रहे हैं। उन्होंने अल़्फ्रेड ऐडलर की चुनिंदा रचनाओं का जापानी भाषा में अनुवाद किया है और कई अन्य पुस्तकों के अलावा उन्होंने अडोरा शिनरिगाकु न्युमॉन (ऐडलेरियन मनोविज्ञान का परिचय) भी लिखी है।
फ़ुमिटाके कोगा का जन्म 1973 में हुआ। वह पेशेवर लेखक हैं और अपनी रचनाओं के लिए पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने व्यापार से सम्बन्धित पुस्तकें और कथेतर साहित्य लिखा है। अपनी उम्र के दूसरे दशक के उत्तरार्ध में उन्होंने ऐडलेरियन मनोविज्ञान पढ़ा और पारम्परिक समझ को चुनौती देने वाले उसके स्वरूप से वह बहुत प्रभावित हुए। यही कारण है कि वह कई बार इचिरो किशिमि से मिलने क्योटो गए और उनसे ऐडलेरियन मनोविज्ञान के सार को समझकर उन्होंने ‘संवाद प्रारूप’ के लिए नोट्स लिए। ग्रीक दर्शन के इस तरीके का इस किताब में प्रयोग किया गया है।