प्रस्तुत पुस्तक आडवाणी द्वारा बड़े ही सशक्त व भावपूर्ण शब्दों में आपातकाल के समय लोकतंत्र के लिए किए गए उनके संघर्ष और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु की गई ‘राम रथयात्रा’—जो स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा जन-आंदोलन थी और जिसने पंथनिरपेक्षता के सही अर्थ और मायनों को लेकर एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ी—का भी बड़ा ही सटीक विवेचन करती है। साथ ही वर्ष 1998 से 2004 तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में गृहमंत्री, फिर उपप्रधानमंत्री पद पर आडवाणी द्वारा अपने दायित्व के सफल निर्वहन पर भी प्रकाश डालती है।
इस पुस्तक ने आडवाणी की राजनीतिक सूझ-बूझ, विचारों की स्पष्टता और अद्भुत जिजीविषा को और संपुष्ट कर दिया है, जिसे उनके प्रशंसक एवं आलोचक—सभी मानते हैं।