Maati Raag

· Vani Prakashan
E-Book
220
Seiten
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Über dieses E-Book

हरियश राय का यह उपन्यास किसानों के संघर्षमय जीवन और कर्ज़ के जाल में फँसे किसानों की दारुण कथा को हमारे सामने रखता है। किसान कर्ज़ में पैदा होता है, कर्ज़ में ही जीता है, कर्ज़ में ही मर जाता है और कर्ज़ ही विरासत में छोड़ जाता है, यह बात जितनी आज से सौ साल पहले सच थी, उतनी ही सच आज भी है। इस कर्ज़ का बोझ अपने सिर पर लादे वह अपनी माटी को नहीं छोड़ता । अपनी माटी के प्रति उसमें अनुराग है जिसे हरियश राय का यह उपन्यास संवेदनात्मक रूप में दर्ज करता है।

तमाम योजनाओं और आर्थिक सहायता मुहैया कराने के बावजूद, छोटे किसानों का जीवन अभी भी खुशहाली से दूर है। अन्नदाता कहकर किसानों का सम्मान ज़रूर किया गया लेकिन उनके सामने आ रही रोज़-ब-रोज़ की समस्याओं का कोई बुनियादी हल नहीं निकल सका । अपने अधिकारों और अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह सजग किसान अपने हितों की ख़ातिर आवाज़ उठाने के लिए सड़कों पर आ गये हैं। सच और सम्भावनाओं के बीच से गुज़रता हुआ यह उपन्यास किसानों के जीवन के कई ऐसे कथा-चित्र हमारे सामने रखता है जिन्हें पढ़ना अपने आप को किसानों के प्रति संवेदनशील बनाना है।

माटी-राग उपन्यास का मुख्य किरदार सुमेर सिंह किसानों के लिए एक ऐसी दुनिया रचना चाहता है जहाँ किसान को खुदकुशी न करनी पड़े और जहाँ किसान अपनी ज़मीन पर पूरे विश्वास के साथ फ़सल उपजा सके ।

Autoren-Profil

हरियश राय -

कथा-लेखन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित नाम

प्रकाशित पुस्तकें : नागफनी के जंगल में, मुट्ठी में बादल और दहन (उपन्यास); बर्फ़ होती नदी, उधर भी सहरा, अन्तिम पड़ाव, वजूद के लिए, सुबह-सवेरे, किस मुकाम तक व महफ़िल (कहानी-संकलन) ।

सामयिक विषयों से सम्बन्धित पाँच अन्य किताबें : भारत-विभाजन और हिन्दी उपन्यास, सूचना तकनीक, बाज़ार एवं बैंकिंग, समय के सरोकार, शिक्षा, भाषा और औपनिवेशिक दासता, भाषा नीति और लोक हित प्रकाशित ।

कथा-आलोचना की तीन किताबें : कथा : एक यात्रा, कथा : सान्निध्य व कहानी: आज प्रकाशित।

भीष्म साहनी : सादगी का सौन्दर्यशास्त्र व कथा-कहानी-एक का सम्पादन ।

सम्पर्क : डीएलएफ फेज़-3, कुतुब एन्क्लेव, गुरुग्राम, हरियाणा-122002

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