महाकवि कालिदास एक ऐसा नाम, एक ऐसा व्यक्तित्व है, जिनके बारे में सारा विश्व सदियों से जानने-समझने के लिए उत्सुक रहा है। समय-समय पर विद्वानों द्वारा उनके महाकाव्य, उनका जन्म काल, उनके जन्म स्थान एवं उनके व्यक्तित्व के बारे में चिंतन, मनन एवं लेखन किया है।
जिस तरह सागर के गहराई में छुपे मोतियों को हर मनुष्य पाना चाहता है, उसी प्रकार महान व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं जीवनी जानने की लालसा हर मनुष्य के मन में ज्वार-भाटा की तरह हिलकोरें खाती रहती है। महाकवि कालिदास की जीवनी जानने से पहले उनके जन्म काल एवं जन्म स्थान संबंधित रहस्य का पर्दा उठना अत्यन्त आवश्यक है। विद्वानों द्वारा चिंतन मनन करने के उपरान्त उन्हें अलग-अलग प्रांतों एवं अलग-अलग काल का बताया है। मैंने अपने तीन वर्षों के परिश्रम एवं प्रयास के उपरांत अनेकानेक साक्ष्य के अनुरूप उन्हें गुप्तकाल का एवं मिथिला देशवासी प्रमाणित किया है। मैंने साक्ष्य कल्पना एवं अपने अनुभूतियों के माध्यम से उनकी पूरी जीवनी को उनके व्यक्तित्व के अनुकूल एवं अनुरूप अपनी लेखनी में व्यक्त करने का प्रयास किया है। उनका जन्म-स्थान, जन्म-काल, बाल्य-सखा, माता-पिता, गुरूजन, उनकी मूर्खता विद्योत्तमा संग विवाह, उनका अपमानित होना, माँ काली का वरदान, महाकवि का सम्मान,राजनीति इत्यादि। साथ ही उनके जीवन से जुड़े पात्रों की ममता, स्नेह, आर्शीवाद प्रेम, अहंकार, ईर्ष्या, त्याग, क्रोध इत्यादि ने उनके जीवन में किस प्रकार उथल-पुथल मचा दी, इस पुस्तक में वर्णित है। और आरम्भ से अंत तक वो कौन थी जो दूध में जल की तरह थी और उन्हीं के हाथों महाकवि की हत्या…………………………..?
कब……………………………….?
कहाँ…………………………….?
कैसे……………………………?
क्यों…………………………….?