मनु शर्मा द्वारा रचित यह कृति समाज के उन पहलुओं को उजागर करती है, जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं—सत्ता, नैतिकता, रिश्तों और संघर्षों की परतों में छिपी हुई सच्चाइयाँ।
उपन्यास में कालचक्र स्वयं एक गवाह बनकर उपस्थित होता है, जो पात्रों की गलतियों, उनके निर्णयों और समाज की सामूहिक चेतना को प्रतिबिंबित करता है। कहानी के पात्र न केवल अपने समय से जूझते हैं, बल्कि पाठक को यह सोचने पर विवश करते हैं कि समय केवल बीतता नहीं, वह साक्षी भी होता है।
समय साक्षी है भाषा, भाव और विचार की दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली रचना है, जो पाठकों को आरंभ से अंत तक बाँधे रखती है। इसकी कथावस्तु न केवल मनोरंजन देती है, बल्कि आत्ममंथन और सामाजिक जागरूकता को भी जन्म देती है।
यह पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए है जो समाज के यथार्थ, मानवीय द्वंद्व और काल की गवाही को साहित्यिक संवेदना के माध्यम से समझना चाहते हैं।
समय साक्षी है एक उपन्यास नहीं, एक दृष्टिकोण है—जो समय की आंखों से समाज और व्यक्ति को देखता है।