"माया" जहाँ एक ओर प्रेम की सार्थकता और व्यर्थता की कविता है वहीं प्रेम-मोक्ष के शाश्वत का भी उदाहरण है। जीवन का वास्तव, रिश्ते, सुख-दुःख, विरह-मिलन और कई अन्य रंगों का ऐसा इंद्रधनुष है जिसमें कि अच्छे घराने की कविताएं हैं और पुराने कवियों का बिम्ब। शब्द चयन, लय, ताल, सहज प्रवाह और आवेगपूर्ण अभिव्यक्ति शरद जी की काव्यक विशेषताएं हैं। चित्रों के अनुरूप कवितायें या कविताओं के अनुरूप चित्रों के संगम का यह प्रयास रुचिपूर्ण और सराहनीय है, अनुपम है। शरद जी का जन्म 1968 में साहित्य-भूमि, कलकत्ता में हुआ और बाल्यकाल से ही समृद्ध बंग्ला साहित्य की संगति पाने के कारण इनका रुझान स्वतः ही साहित्य की तरफ हो गया। इनकी प्राथमिक शिक्षा विकास विद्यालय, राँची में हुई जहाँ इन्हें हिंदी के कई अच्छे शिक्षकों का स्नेह और प्रोत्साहन मिला, प्रेरणा भी। B.Com के उपरांत marketing और finance में PGDMA (MBA) कर इन्होंने कागज़ का अंतरराष्ट्रीय व्यापार 22 वर्ष की उम्र में प्रारंभ किया और आज ये एक प्रतिष्ठित व्यवसायी भी हैं।