रचना, रचनाकार के निजी अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति होती है। सामाजिक प्राणी होने के कारण एक ओर देश, काल, समाज के विभिन्न दबाव और अन्तःक्रियायें उसे प्रभावित करती हैं, तो व्यक्ति रूप में विभिन्न कारक और कारण उसकी संवेदना को प्रेरित या आहत कर टहोका लगाते रहते हैं। ये दबाव और संवेदनाएँ जब घनीभूत होती हैं, तब रचना आकार ग्रहण करती है। गीत को विज्ञजनों ने बड़ी ही सुकुमार विधा माना है, जिसमें विवरण और विस्तार के लिए अवकाश कम रहता है। इसमें क्षण विशेष, परिस्थिति विशेष या फिर भाव विशेष का अंकन ही प्रधान होता है। । समय-समय पर परिवार, समाज, राजनीति और व्यवसाय आदि की विडंबनाओं से टकराते हुए जो कुछ मानसिक क्रिया-प्रतिक्रिया हुई उसी की शाब्दिक अभिव्यक्ति है ‘नए सवाल