Netaji Ke Sapne Kitne Apne ?

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Über dieses E-Book

नेताजी सत्तामोह और सत्ता से बिल्कुल ऊपर उठे दानवीर महारथी कर्ण के समान थे। इनका जीवन-दर्शन नीले आकाश की तरह असीम, सागर की तरह गहन और गंभीर तथा सूर्य की तरह तेज, अंधकार को आलोक में परिवर्तित करने वाला था। इनकी जीवनी आत्म-उत्सर्ग की एक ऐसी व्याख्यान है जो हत्तोत्साहित एवं निर्जीव व्यक्तियों के हृदयों में भी आशा, स्फूर्ति और प्राण का संचार कर सकती है। इनका बलिदान ललकार रहा है, राष्ट्र को जिन्दा रखने के लिए व्यक्ति को जीवन देना पड़ेगा। अर्थात् व्यक्ति से राष्ट्र/देश बड़ा है। इनका मानना था कि स्वतंत्रता का खजाना कायर, भीरू, चापलूस या स्वार्थी बनने से नहीं अपार कष्ट उठाकर ही प्राप्त होगा। अंगेजों की शोषण नीति और असह्य परंतत्रता से भारत वर्ष को मुक्त कराने में जिन महापुरुषों ने जीवन के अंतिम सांस तक असंख्य यातनाएँ सह कर राष्ट्र की बलिबेदी पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर डाला हो, ऐसा महान् क्रांतिदूत, अनन्य देश-भक्त, सक्रिय समाज सुधारक व सेवक सिर्फ और सिर्फ पूरे दुनियां में हमारे सुभाष बाबु ही हैं।


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Autoren-Profil

मैं न कोई इतिहासकार हूँ, न ही इतिहास मेरा विषय रहा है। प्रश्न हो सकता है कि तब अनर्थक काम करने का यह दुस्साहस क्यों? दरअसल यह मेरे हृदय की आवाज है जो 31 अक्टूबर 1984 ई. को श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या की खबर से मेरे कलेजे के तड़प से निकली थी। आत्मा मुझे धिक्कार रही थी कि यह समय राष्ट्र के लिए मर मिटने के लिए है। मुझे किसी आदर्श व्यक्तित्व की तलाश महसूस हुई। तत्कालीन राजनेताओं से निराशा हाथ लगी तो इतिहास में ढूँढने लगा। अपना निजा “श्रीमती विमला पुस्तकालय” में उपलब्ध तमाम महान् विभूतियों की जीवनी का अध्ययन व मनन करने के उपरांत नेताजी सुभाष बाबू को मैंने अपना अभीष्ट आदर्श व्यक्तित्व चुना। इसके पीछे का कारण शायद पारिवारक पृष्टभूमि, निज संस्कार एवं अपने पूज्य पिताजी के जीवन शैली का भी तकाजा रहा होगा।


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