तर्ज के अतिरिक्त अन्य लोकगीत आदि को लेकर कृष्ण और राधा के संवाद पर भी गीतों का सृजन किया गया है तथा भक्ति रस से ओत प्रोत कुछ गीत इस पुस्तक को आकर्षक बनाने में सहयोगी हुए हैं |
पुस्तक में शब्दों, पदों की शुद्धता का पूर्ण प्रयास किया गया है फिर भी कतिपय अगर त्रुटियाँ रह गयीं हों तो पाठकजन एवं सुधीजनों से परामर्श व सुझाव सादर स्वीकार होंगे |
इस पुस्तक की उपयोगिता का निर्णय पाठक स्वयं करें, यदि इस पुस्तक से कुछ उपकार हो सकेगा तो मैं अपने इस प्रयास को सफल समझूंगा |
जन्म उत्तर प्रदेश में महोबा जिले के महुआ ग्राम में 5 सितम्बर सन 1985 को एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ | माँ का नाम सुशीला तथा पिता का नाम अवधनारायण श्रीवास्तव है | पिता सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक थे, और माँ बाल विकास परियोजना में आँगनवाड़ी कार्यकत्री थीं | माँ की धार्मिक प्रवृति के कारण ही मेरे विचारों को गति मिली | उस समय परिवार की स्थिति ठीक न होने के कारण मेरी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई | पांचवीं कक्षा के बाद हम हमीरपुर जिले के राठ कसबे में आ गये | कक्षा 6 से दसवीं तक की शिक्षा किसी तरीके से माता पिता ने अथक परिश्रम कर पूर्ण करायी, क्योकि मेरे अलावा मेरे दो छोटे भाई भी थे | अतएव में भी पिता के साथ उनका सहयोग करता था | दसवीं कक्षा से मैंने अखबार बेचने का कार्य किया, और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अध्यापन कार्य करने लगा | आर्थिक समस्याओं के चलते तीन वर्ष तक पढाई अवरुद्ध हो गयी | एम. ए. हिंदी,संस्कृत की शिक्षा पूर्ण की | कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास, गीत, भजन, निबन्ध आदि हिंदी गद्य एवं पद्य दौनो विधाओं पर लेखन कार्य निरंतर चल रहा है |