"पांचजन्य" एक अद्वितीय काव्य संग्रह है, जो महाभारत की महाकाव्य धारा और धर्म-अधर्म के बीच के संघर्ष को केंद्र में रखकर लिखा गया है। इस पुस्तक की कविताएँ विशेष रूप से अर्जुन के युद्ध के समय के मानसिक द्वंद्व और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता के उपदेशों पर आधारित हैं । यह काव्य संग्रह केवल धार्मिक या पौराणिक संदर्भों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे नैतिकता, धर्म, कर्तव्य, और मानवता के गहरे अर्थों को भी उजागर करता है। कविताओं के माध्यम से अर्जुन के मन में उठते संघर्ष और श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उत्तरों की गहराई को बड़े ही भावपूर्ण तरीके से चित्रित किया गया है ।कविताएँ इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करती हैं कि कैसे युद्ध न केवल भौतिक संघर्ष है, बल्कि मानसिक और आत्मिक युद्ध भी है, जहाँ सही और गलत के बीच के अंतर को समझना सबसे महत्वपूर्ण है। इस पुस्तक में नैतिकता, कर्तव्य, और त्याग की महत्ता को प्रस्तुत किया गया है, जिससे हर पाठक को अपने जीवन के संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो अपने जीवन के संघर्षों में दिशा खोज रहे हैं, और जो गीता के उपदेशों को आज के जीवन में प्रासंगिक रूप से देखना चाहते हैं।