Panchphoran Ki Sugandh

· Uditi Prakashan
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"पंचफोरन की सुगंध" - नाम से हीं आभास हो जाता है कि यह एक हाउस वाइफ की लिखी रचनाएं हैं जो दाल -सब्जी में छौंक लगाते, घर के काम निबटाने, खिड़की से आस पड़ोस में झांकते, घर आये लोगों की बातों से, ज़िन्दगी को समझने के दौरान अंखुआई और फिर अनुकूल समय पा कर पुष्पित पल्लवित हो गई। जैसी साधारण सी गृहणी, वैसी हीं सरल, पर जीवन से भरी कहानियां, जो मेरी आपकी किसी की हो सकती है। इस उम्र में लिखने की लगन और जिद ने हीं अनुभवों को कहानी के रूप में ढालने को मजबूर किया। थोड़ा भय होता है पाठक के पसन्द नापसन्द का पर अपनी उम्मीद और मेहनत पर यकीन कर आगे कदम बढा ली हूं। आप हाथ बढ़ा दें।

लेखक के बारे में

माला सिंह का जन्म 1957 में आरा में हुआ और स्कूली शिक्षा वहीं से हुई । स्नातक की डिग्री उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से ली। कम उम्र में हीं शादी और फिर मां का दायित्व निभाने में व्यस्त हो जाने के कारण वो अपने लेखन के शौक को दबाये रखी।पर जैसे हीं जिम्मेदारियों से मुक्त हुई, लिखना उनका प्रिय शगल बन गया। ये उनकी पांचवी किताब है। पहले की सभी किताबों को पाठको का बहुत प्यार और सम्मान मिला....इस बार भी उम्मीद वही है उन्हें । जबतक जीवन है, लिखती रहूंगी- ये उनका कहना है।

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