कुछ लोग घूमने-फिरने की गरज से अंडमान-निकोबार जाते हैं, तो वे भी कुछ गिने-चुने क्षेत्रों की सीमाओं में बँधे रहते हैं, जैसे पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप, रॉस द्वीप, रॉस एवं स्मिथ द्वीप, चिड़िया टापू, राधानगर समुद्र तट, आदि। कुछ थोड़ा साहसिक पर्यटक हुए तो बाराटांग की गुफाओं, लालजी बे, वाइपर द्वीप, दिगलीपुर आदि थोड़े अंदरूनी स्थलों तक भी चले जाते हैं। उन्होंने मूल रूप से इसे अंग्रेजी में एक ही पुस्तक के रूप में लिखा। लेकिन हिंदी में इसका अनूदित संस्करण लाते समय पाठकों की सुविधा के लिए मूल पुस्तक को दो खंडों में बाँट दिया गया है। पहला खंड 'अंडमान-अंडमानुष' है, जबकि दूसरा खंड 'निकोबार-निकोबारी' उस भू-भाग की परतें खोलेगा। पढ़िए और आनंद लीजिए।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और स्थापित लेखक पार्थ सारथी सेन शर्मा वर्षों से एक यात्री के तौर पर अपने अनुभवों व स्मृतियों को सहेज रहे हैं। वे इन्हें अपनी काल्पनिकता से सजाकर संस्मरण व उपन्यासों के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत भी करते रहे हैं। उनके दो उपन्यास 'लव इन लखनऊ' और 'हम हैं राही प्यार के' तथा संस्मरणों की दो पुस्तकें 'एक कदम हजार अफसाने' और 'मुसाफिर हूँ यारो' प्रकाशित हुई हैं। अनेक लेख टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस, द पायनियर, रेल बंधु और डिस्कवर इंडिया में प्रकाशित ।
वे खेल-प्रेमी, जिज्ञासु पाठक एवं उत्साही यात्री भी हैं।