प्रमोद कुमार अग्रवाल द्वारा लिखित यह पुस्तक केवल शासन-प्रणाली की एक व्याख्या नहीं है, बल्कि यह ग्राम स्वराज की उस अवधारणा को स्पष्ट करती है, जिसे महात्मा गांधी ने स्वतंत्र भारत के निर्माण का मूल आधार माना था।
पुस्तक में पंचायती राज व्यवस्था की उत्पत्ति, विकास और आज के समय में उसकी भूमिका को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। तीन-स्तरीय पंचायती ढांचे — ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद — की कार्यप्रणाली, शक्तियाँ, और उनके बीच की जिम्मेदारियों को समझने के लिए यह एक अति उपयोगी संदर्भ है।
इसमें 73वें संविधान संशोधन के ऐतिहासिक महत्व और लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के प्रभाव को गंभीरता से विश्लेषित किया गया है, जिससे यह पुस्तक न केवल छात्रों, प्रतियोगी परीक्षार्थियों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए उपयोगी बनती है, बल्कि हर जागरूक नागरिक के लिए भी एक जरूरी दस्तावेज़ है।
भारत में पंचायती राज ग्रामीण भारत की आत्मा को समझने, शासन में भागीदारी के अधिकार को पहचानने और नीति निर्माण की जड़ों को जानने की एक सशक्त कुंजी है।