Universal भावनाओं का वैश्विक स्वरूप। ‘अलबेला एहसास’ एक ऐसा दर्पण है, जिसमें हर पाठक खुद को, अपने किसी भूले हुए अहसास को या अपनी किसी अधूरी कहानी को देख सकेगा।
प्रवीण कुमार पांडेय एक अनुभवी प्रशासक, गम्भीर भावनात्मक समझ वाला कवि और जीवन के विविध रंगों को आत्मसात् कर उन्हें शब्दों में ढालने वाले संवेदनशील लेखक हैं। वे पिछले तीन दशकों से शिक्षा, वित्तीय संस्थानों और सहकारी व्यवस्थाओं में विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाते हुए भी साहित्य से गहरे जुड़े रहे हैं। वर्तमान में आप निजी विश्वविद्यालय, रायपुर में प्रशासकीय उप प्रबंधक (Deputy Manager) के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व आपने बैंकिंग / वित्तीय संस्था की विभिन्न प्रमुख इकाइयों में State Operation Head, क्षेत्रीय व्यवसाय प्रबंधक, द्वितीय प्रमुख, कंप्यूटर प्रोग्रामर जैसे पदों पर कार्य किया।
शैक्षिक पृष्ठभूमि: आप एक स्नातकोत्तर (Post Graduate) हैं, सूचना तकनीक (Information Technology) में। तकनीकी दक्षता के साथ-साथ आपके भीतर साहित्य और भावनाओं की गहराई का विलक्षण समन्वय है।
साहित्यिक पहचान: प्रवीण जी की कविताएँ भावनाओं की तरलता, आत्मसंघर्ष, प्रेम की अनुभूति, सामाजिक सजगता और आत्मचिंतन की पराकाष्ठा का समन्वय हैं। उनकी लेखनी में शुद्ध हिंदी, बोलचाल की भाषा और उर्दू के कोमल जज़्बातों का संतुलित प्रयोग मिलता है, जो पाठकों को सीधा दिल से जोड़ता है। उनकी कई कविताएं और लेख पूर्व में पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। उनको कई नामचीन साहित्यकारों का सानिध्य भी मिला।
‘अलबेला एहसास’ के बारे में: यह उनके भावात्मक अनुभवों, सामाजिक दृष्टिकोण और मानवीय संवेदनाओं का सजीव दस्तावेज़ है। इसमें प्रेम, तन्हाई, आत्म-खोज, अध्यात्म और सामाजिक यथार्थ के कई रंग समाहित हैं।
विश्वास: उनका मानना है- "कविता केवल अभिव्यक्ति नहीं, आत्मा की अनुभूति है। वह तब तक अधूरी है, जब तक किसी और की धड़कनों से न टकराए।"