मेरा हौसला ही मेरा जुनून है, इसी से मिलता मुझे सुकून है।
जुनून कुछ कर गुजरने का, उड़कर आसमान छूने का।।
हौसला भी मेरा मजबूत है, मेरी आंखों मे भी एक जुनून है।
किसी ने छेड़ा मेरे तराने को, ललकारा मन के आषियाने को।।
समझा खुद को मैंने कच्चा, मगर जुनून ने किया मुझे पक्का।
और ये मन का विष्वास ही आज, मेरे हौसले को देता उड़ान है।।
स्वीकारा है ललकार को मैंने, भरी है हौसलों की उडान भी मैंने।
सोचने लगा अब मैं कुछ तो ऐसा, बेरंग सा ये जीवन है कैसा ।।
आज मेरी चाहत मे भी उसी की सोच का बसा एक रंग है ।
मेरा हौसला ही मेरा जुनून है, इसी से मिलता मुझे सुकून है।