ये आपकी काफ़िला है, ये हमारी काफ़िला है
आधुनिक टेक्नोलॉजी के समय में किसी को समय नहीं जो मोबाइल,टैब,कंप्यूटर को छोड़कर कोई भी पुस्तक पढ़े वो भी जब पुस्तक किसी भी कक्षा का न हो।हालांकि हम इसे अच्छा नहीं कहेंगे।जिस तरह से कक्षा की पुस्तकों से व्यवहारिक ज्ञान को हटाया जा रहा है ऐसे में हमें व्यावहारितकता जैसे कई पुस्तकों को पढ़ना हमें जरूरी हो जाता है।ऐसे में आप कई पुस्तकों का अध्ययन किए जिससे आपके भी मन में दृढ़ इच्छा जागृत हुई कि आप भी एक साहित्य लिखें जिसमें एक ही पुस्तकों में सभी तरह के चर्चे को समाहित कर सकें।आपका बचपन से सपना रहा है कि यदि आप स्वयं समाज को कुछ दे सकें तो इससे बढ़कर आपके लिए कुछ नहीं हो सकता।आप अपना प्रयास इस पुस्तक ’काफ़िला’ में रचनाओं के माध्यम से सौ फीसदी दिए हैं।जिसमें आप श्रृंगार,वीर,हास्य,करुण,रौद्र,भयानक,अद्भुत जैसे सभी रसों का व्यंजन बनाकर पाठकों के बीच परोसें हैं। आपका प्रयास कहाँ तक सफल हुआ है ये निर्णय आप सभी सुधि पाठकों पे छोड़ते हैं।
राजीव रंजन ’विश्वास’ आपका जन्म सुदूर ग्रामीण क्षेत्र कुर्साकांटा के तकिया टोला नामक गाँव में हुआ।ये नेपाल से सटे बिहार राज्य के अररिया जिले के अन्तर्गत आता है।आपके पिता सच्चिदानंद विश्वास एक शिक्षित किसान व माता इंदुला देवी एक शिक्षित गृहिणी हैं।आपकी विद्याध्यन कुर्साकांटा,फारबिसगंज शुरुआत से होती रही है।लगभग आठ वर्ष की गंभीर बीमारी के कारण आपकी अध्ययन प्रभावित रही।उस दुःख के पल भी आप समाज के बारे में सोचते रहे निष्कर्षतः आज ये पुष्परूपी ’काफ़िला’ आप उन्हें समर्पित करते हैं।