Geeta-Gyan: Saral Hindi Kavita me

· BFC Publications
5.0
4 reviews
Ebook
106
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Ratings and reviews

5.0
4 reviews
Dhananjay Dhanesh
February 11, 2025
very nice Translation in hindi..must read book. you will feel motivated and very simple to understand geeta in hindi ..I recommend this book for everyone .
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Anamika Kamal
June 14, 2025
Very nice 👍 , easy to comprehend..must buy for everyone.
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sandeep sharma
February 11, 2025
Very Nice book ... I would recomend everyone should buy this
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About the author

मेरा छोटा सा गाँव है, नदी गंगा के किनारे में । 

लोग खेती करने जाते है, नदी पार कर दियारे में ।।


बाजीतपुर शैदात, बिदुपुर थाना और वैशाली जिला के अंदर है। संयुक्त परिवार के पुत्रों मे द्वितीय और चार सहोदरों में मेरा प्रथम स्थान है। चाचा जी अंग्रेजों के राज्य में यूनियन बोर्ड के पंच हुआ करते थे। वे समाजसेवी और शिक्षा प्रेमी थे। उनकी प्रेरणा और गुरुओं के सहयोग से सब कुछ प्राप्त हुआ। गुरुभक्ति के कारण गुरुओं की विशेष कृपा मेरे ऊपर रही। जो हो, 1955 मे मैट्रिक की परीक्षा मे उत्तीर्ण होकर चार वर्षों तक राजनारायण सिंह कॉलेज हाजीपुर मे अध्ययन कर 1959 मे बी ए की परिक्षा में उत्तीर्ण हुआ। चाचा जी की प्रेरणा और उल्लास के कारण लंगट सिंह कॉलेज मुजफ्फरपुर से स्नातकोत्तर की परिक्षा मे 1961 मे उत्तीर्ण हुआ। ज्ञातव्य है की संस्कृत के विद्वान प्राध्यापक सुरेंद्रनाथ दीक्षित के साहचर्य में मैने गीता ज्ञान प्राप्त किया। गीता का प्रथम एवं द्वितीय अध्याय मेरे पाठ्यक्रम में था। उनके निवासस्थान पर जाकर मैंने सम्पूर्ण गीता का ज्ञान प्राप्त किया तथा उनके जीवनोपयोगी तथ्यों को जाना। तत्पश्चात मेरा गीता से सम्बंध हुआ। लगातार उसका अध्ययन करता रहा। गीता के हिंदी और अँग्रेजी अनुवादकों का सहारा लेता रहा। 1963 मे डिप्लोमा इन एजुकेशन करने के बाद 1965 से उच्च विद्यालय नारायणपुर वैशाली और उच्च विद्यालय बथनाहा (सीतामढ़ी) में कार्यरत रहा। गीता और रामचरितमानस का पठन पाठन मैंने जारी रखा। 1999 मे सेवानिवृत होकर घर आया। कोरोना काल मे लॉकडाउन का काल मेरे लिए सुंदर रहा। घर से बाहर जाना नहीं था। उसी काल मे मैंने गीता का काव्यानुवाद किया जो आपके सामने है। विश्वास है कि मेरी भाषा और छंद पर पाठक ध्यान न देकर इसके उपदेश को ग्रहण करेंगे। सेवानिवृत के बाद मैंने सामाजिक सेवा में खुद को व्यस्त रखा और अच्छी प्रतिष्ठा पायी। अब तो मै पूर्ण वृद्धावस्था में हूं।

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