इस पुस्तक को मैं अपनी पूज्य माता श्रद्धेया शान्ती देवी व पिता श्रद्धेय चतुरीराम आनन्द को समर्पित करता हूँ। माता - पिता का आशीर्वाद एवं आप सभी का साथ रहा की साझा संकलन के रूप में यह पुस्तक आप सभी के हाथों में देते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। यह एक ऐसा काव्य संग्रह है जो किसी एक कवि की कविता से नहीं बना है बल्कि यह समूचे भारत के कवियों एवं शिक्षकों की कलम से निकले हुई उनके मनोभाव हैं । जिसे बस मैंने एक माला में पिरोने का प्रयास किया है। "आनन्द की पाठशाला" ऐसी नवचारी कविताओं का संग्रह है जिसके माध्यम समाज में एक जागृति आयेगी। आप सभी के साथ मिलकर आप सभी के स्नेह व सहयोग से यह साहित्यिक पुस्तक (आनन्द की पाठशाला) में कविता रूपी फूल जुड़ते गए, पुस्तक रूपी माला "आनन्द की पाठशाला" बनकर तैयार हो गयी। जिसमें पूरे भारत के नवचारी कवियों, शिक्षकों एवं साहित्यकारों का अथक प्रयास रहा जिसमें हमें उनका बच्चों एवं साहित्य के लिए समर्पण भाव देखने को मिला है। जो आप बुद्धिजीवी लोगों के सहयोग से सम्भव हुआ है। और यह पुस्तक आपके हाथों में पहुंचाते हुए हमें अपार प्रसन्नता एवं आनन्द की अनुभूति हो रही है।