मेरा नाम समरजीत सिंह है। पढ़ाई के दौरान मेरा रुझान इतिहास की ओर तब बढ़ा जब मेरे बड़े भाई ने मुझे प्राचीन भारत की गाथाओं, राजवंशों और युद्धों की कहानियाँ सुनाईं। उन्हीं की प्रेरणा से मैंने इतिहास को न केवल एक विषय के रूप में, बल्कि एक जीवंत अनुभव के रूप में अपनाया। समय के साथ यह रुचि गहराती गई और मैंने राजस्थान के इतिहास में स्नातकोत्तर (Post Graduation) की पढ़ाई पूरी की। राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत, राजपूत शौर्य, स्थापत्य कला और राजनैतिक रणनीतियों ने मुझे विशेष रूप से आकर्षित किया। वर्तमान में मैं विभिन्न ऐतिहासिक क्षेत्रों में शोध कर रहा हूँ, जिनमें प्राचीन युद्धनीति, राजवंशीय संबंध, कूटनीतिक गठबंधन और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं। मेरा उद्देश्य केवल इतिहास को समझना नहीं, बल्कि उसे वर्तमान पीढ़ी के सामने सजीव रूप में प्रस्तुत करना है। इतिहास मेरे लिए केवल अतीत का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि भविष्य को दिशा देने वाला आईना है। इसी दृष्टिकोण के साथ मैं अपने कार्य को आगे बढ़ा रहा हूँ और ऐतिहासिक शोध तथा लेखन के माध्यम से लोगों को अपनी विरासत से जोड़ने का प्रयास कर रहा हूँ