सनातन धर्मज्ञान पुस्तक लेखन का उद्देश्य जनमानस में वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक विरासत को अक्षुण्य बनाये रखना है, तथा ज्योतिष पौरोहित्यकर्मकाण्ड, याज्ञिकज्ञान, योग आसन व्यायाम, यंत्र मंत्र तंत्र विद्या का प्रसारतथा मानव जीवन जीने की कला जोकि गीता, रामायण स्मृतियों, संहिताओं, आर्षग्रन्थोंमें वर्णित तथा धर्मशास्त्रों में उल्लिखित जनकल्याणकारी प्रयोगों अनुष्ठानादियज्ञादि माध्यमों से स्वास्थ्य, पर्यावरण, स्वच्छता, जागरूकता, खेलकूद आदि माध्यमोंसे सर्वांगीण विकास परक कार्यक्रमों का सफल संचालन हमारा प्रकृति प्रदत्त धर्मकर्म है।