झारखंड झाड़-झंखाड़ों का प्रदेश कहा जाता है। एक ऐसा प्रदेश; जहाँ जंगल हों; पठार हों; पहाड़ हों; झाड़ हों; झरने हों। ऐसे मनोरम प्रदेश का नाम झारखंड हो तो क्या आश्चर्य?15 नवंबर; 2000 को बिहार से अलग हुआ झारखंड अपने कई नामों से जाना जाता है। हर नाम की अपनी सार्थकता और इतिहास है। झारखंड को लोग आमतौर पर सिर्फ खान-खनिज के लिए ही जानते हैं; यहाँ अपार खनिज-संपदा भरी पड़ी है। धनबाद के बारे में कहा जाता है कि यहाँ रुपया उड़ता है। इसी तरह कोडरमा अभ्रक के लिए विख्यात था। 19वीं शताब्दी में यहाँ पर ऐसी महँगी गाडि़याँ सड़कों पर दौड़ती रहती थीं; जो तब के बॉम्बे में भी नहीं दौड़ती थीं। एक दूसरी पहचान यह रही कि यहाँ आदिवासी रहते हैं।
दुनिया की प्राचीन जनजातियाँ। इन्हें देखने के लिए भी लोग यहाँ आते रहे। खासकर; मानवविज्ञानी। पर इससे इतर भी झारखंड है; जिसके बारे में काफी कम चर्चा होती है और वह है झारखंड का प्राकृतिक सौंदर्य तथा यहाँ के प्राचीन मंदिर; पुरावशेष; किले; पर्व-त्योहार; नृत्य; कला आदि। पुस्तक इस दिशा में लोगों को जागरूक करने का विनम्र प्रयास करती है। विरासत को सहेजना हमारा-आपका कर्तव्य है। इसी तरह राज्य में पुरातात्त्विक स्थल बिखरे पडे़ हैं। झारखंड के पर्व-त्योहार मेले और पर्यटन स्थल आदि का दिग्दर्शन करानेवाली प्रमाणिक पुस्तक।
JHARKHAND KE PARVA-TYOHAR; MELE AUR PARYATAN STHAL by SANJAY KRISHNA: Explore the cultural festivals, fairs, and tourist destinations of Jharkhand through this book. Sanjay Krishna likely offers readers insights into the diverse traditions, celebrations, and places of interest in the state of Jharkhand. It provides a cultural and travel guide to the region.
Key Aspects of the Book "JHARKHAND KE PARVA-TYOHAR; MELE AUR PARYATAN STHAL":
Cultural Exploration: Discover the unique festivals and cultural heritage of Jharkhand.
Travel Guide: Explore the various tourist attractions and destinations in the state.
SANJAY KRISHNA likely showcases the cultural richness and travel opportunities in Jharkhand in "JHARKHAND KE PARVA-TYOHAR; MELE AUR PARYATAN STHAL." This book serves as a cultural and travel resource for readers interested in the region.