पुस्तक की लेखिका सरला देवी हुड्डा ने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने चौंतीस वर्षों तक केन्द्रीय विद्यालय संगठन में शिक्षिका के रूप में कार्य किया। स्वाध्याय, लेखनी, ध्यान-साधना उनके जीवन के केंद्र बिंदु हैं। बौद्ध साहित्य के गहन अध्ययन और बुद्ध द्वारा अन्वेषित ‘विपश्यना’ के लाभों को दीर्घकाल तक अनुभव करने के पश्चात् ही उन्होंने इस पुस्तक की रचना की है। इस कृति में प्रेरणादायक, अनुकरणीय और रोचक कथानकों के माध्यम से जन- जन को बुद्ध का संदेश देने का प्रयास किया गया है।