“मेरी दुनिया: माँ” सत्य प्रकाश कुमार की वह साहसिक कोशिश है, जो एक बेटे और उसकी माँ के बीच बढ़ते रिश्ते के हर पड़ाव को छूती है। बचपन की धुंधली यादों से लेकर युवावस्था के जटिल मोड़ तक, यह किताब माँ के त्याग, धैर्य और असीम प्रेम की वह डायरी है, जिसे हर कोई महसूस तो करता है, लेकिन शब्द दे पाना मुश्किल होता है।
यह किताब सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि उन भावनाओं का संग्रह है जिन्हें शब्दों में बाँधना आसान नहीं। जब-जब लेखक गिरा, माँ ने उसे सँभाला। जब-जब उसने हार मान ली, माँ ने उसे उठाया। यह किताब हर उस माँ को समर्पित है, जिनकी ममता बच्चों की दुनिया की धुरी है।
पाठकों से संदेश: "मैं चाहता हूँ कि यह किताब आपके भीतर उस ममता और शांति की याद जगाए, जिसे हम अक्सर जीवन की भागदौड़ में भूल जाते हैं। अगर इसे पढ़कर आप एक पल के लिए भी अपनी माँ को और गहराई से याद करें, तो यह किताब अपनी मंज़िल पा चुकी है।"
बचपन की छाँव, किशोरावस्था की धूप, युवावस्था के मोड़ और परिपक्वता के आकाश से गुज़रती यह कहानी आपको भावुक कर देगी और अपनी माँ से बाँध देगी।
सत्य प्रकाश कुमार एक सॉफ़्टवेयर डेवलपर रहे हैं, लेकिन उनका दिल हमेशा कहानियों और विचारों की दुनिया में बसता था। कोड की पंक्तियाँ लिखते-लिखते उन्होंने महसूस किया कि असली संतोष केवल तकनीक में नहीं, बल्कि भावनाओं और अनुभवों को शब्दों में ढालने में है।
माँ के साथ उनके रिश्ते और उनसे मिली सीखों ने उनके जीवन को गहराई से छुआ। इसी अहसास ने उन्हें यह किताब लिखने के लिए प्रेरित किया।
आज वे अपना समय किताबें लिखने और उन विचारों को साझा करने में लगाते हैं, जो लोगों को अपने भीतर झाँकने, रिश्तों की अहमियत समझने और जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करते हैं।
मेरी दुनिया: माँ उनकी इस नई साहित्यिक यात्रा का पड़ाव है एक ऐसी कोशिश, जहाँ वे अपने दिल के सबसे करीब रहने वाले रिश्ते को शब्दों में बाँध रहे हैं।