Shabd Aur Sadhana

· Vani Prakashan
E-book
208
Mga Page
Hindi na-verify ang mga rating at review  Matuto Pa

Tungkol sa ebook na ito

'शब्द और साधना' प्रसिद्ध आलोचक डॉ. मैनेजर पाण्डेय की नवीनतम आलोचना पुस्तक है। इसमें डॉ. पाण्डेय ने अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप अनेक ऐसे विषयों की गहन पड़ताल की है, जिन्हें आज देखने से बचने की चेष्टा की जाती है। जो लोग डॉ. पाण्डेय को सैद्धान्तिक आलोचक मानते रहे हैं उन्हें उनकी व्यावहारिक आलोचना का विमर्श किंचित् अचरज में डालेगा और वे इस तथ्य को समझ पायेंगे कि सैद्धान्तिक रूप से प्रतिबद्ध हुए बिना आलोचना के व्यवहार पक्ष को भी बरत पाना आसान नहीं होता। पुस्तक में कुल तेईस निबन्ध हैं, जो तीन खण्डों में विभाजित हैं। ये सभी अपने विवेचन में नया विमर्श रचते हैं। पहले खण्ड में शामिल निबन्धों में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का महत्त्व, जयशंकर प्रसाद की कामायनी और मुक्तिबोध, मुक्तिबोध और कामायनी, रामविलास शर्मा और हिन्दी नवजागरण, रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि के मूल स्रोत, पण्डित विद्यानिवास मिश्र और मध्यकालीन कविता तथा सूरदास का काव्य और विश्वम्भरनाथ उपाध्याय जैसे निबन्ध नये स्तर पर विषयों की मीमांसा करते हैं तथा आज के सन्दर्भो में इनकी उपादेयता को परखते हैं। इसके अतिरिक्त इस खण्ड में कुछ अन्य निबन्ध भी हैं जो व्यावहारिक आलोचना के निकष बनकर आते हैं। दूसरे और तीसरे खण्डों में वे रीतिकालीन काव्य में उपस्थित इतिहासबोध की व्याख्या, वैश्वीकरण के दौर में प्रगतिवाद की स्थिति की पड़ताल, दलित साहित्य की आलोचना के कतिपय ज्वलन्त सूत्रों के विवेचन के साथ-साथ तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती, बांग्ला बाउल कवि लालन शाह फ़क़ीर तथा तेलुगु कवि वरवर राव की कविताओं की व्याप्ति और उनके महत्त्व का निरूपण भी करते हैं। पुस्तक का समापन ख्यात पश्चिमी विचारक एडवर्ड सईद के विचारों की मीमांसा से होता है, जिसमें वे कहते हैं-'सईद की सबाल्टर्न लेखन में गहरी दिलचस्पी रही है। इसे वे उनके इतिहास लेखन का प्रयत्न मानते हैं जो इतिहास लेखन की मुख्यधारा से बहिष्कृत हैं।' । कहना न होगा कि भक्ति-काव्य, नवजागरण, छायावाद और समकालीन रचनाशीलता के सूत्रों के साथ-साथ 'शब्द और साधना' पुस्तक जिस समाज-विमर्श को सामने लाती है, वह निश्चय ही हमें बौद्धिक रूप से समृद्ध करता है। -ज्योतिष जोशी

Tungkol sa may-akda

सुप्रसिद्ध आलोचक मैनेजर पाण्डेय का जन्म 23 सितम्बर, 1941 को बिहार प्रान्त के वर्तमान गोपालगंज जनपद के गाँव ‘लोहटी’ में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव में तथा उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच. डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। पाण्डेय जी गत साढे़ तीन दशकों से हिन्दी आचोलना में सक्रिय हैं। उन्हें गम्भीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन के लिए पूरे देश में जाना-पहचाना जाता है। उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकें हैं: शब्द और कर्म, साहित्य और इतिहास-दृष्टि, साहित्य के समाजशास्त्रा की भूमिका, भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य, अनभै साँचा, आलोचना की सामाजिकता, संकट के बावजूद (अनुवाद, चयन और सम्पादन), देश की बात (सखाराम गणेश देउस्कर की प्रसिद्ध बांग्ला पुस्तक ‘देशेर कथा’ के हिन्दी अनुवाद की लम्बी भूमिका के साथ प्रस्तुति), मुक्ति की पुकार (सम्पादन), सीवान की कविता (सम्पादन)। पाण्डेय जी के साक्षात्कारों के भी दो संग्रह प्रकाशित हैं: मेरे साक्षात्कार, मैं भी मुँह में जबान रखता हूँ। आलोचनात्मक लेखन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं: हिन्दी अकादमी द्वारा दिल्ली का साहित्यकार सम्मान, राष्ट्रीय दिनकर सम्मान, रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी का गोकुल चन्द्र शुक्ल पुरस्कार और दक्षिण भारत प्रचार सभा का सुब्रह्मण्य भारती सम्मान। मैनेजर पाण्डेय ने हिन्दी में एक ओर ‘साहित्य और इतिहास दृष्टि’ के माध्यम से साहित्य के बोध, विश्लेषण तथा मूल्यांकन की ऐतिहासिक दृष्टि का विकास किया है तो दूसरी ओर ‘साहित्य के समाजशास्त्रा’ के रूप में हिन्दी में साहित्य की समाजशास्त्राीय दृष्टि के विकास की राह बनाई है। अपने आलोचना-कर्म में वे परम्परा के विश्लेषणपरक पुनर्मूल्यांकन के भी पक्षधर रहे हैं। उन्होंने भक्त कवि सूरदास के साहित्य की समकालीन सन्दर्भों में व्याख्या कर भक्तियुगीन काव्य की प्रचलित धारणा से अलग एक सर्वथा नयी तर्काश्रित प्रासंगिकता सिद्ध की है। पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी में दलित साहित्य और स्त्राी-स्वतन्त्राता के समकालीन प्रश्नों पर जो बहसें हुई हैं, उनमें पाण्डेय जी की अग्रणी भूमिका को बार-बार रेखांकित किया गया है। उन्होंने सत्ता और संस्कृति के रिश्ते से जुड़े प्रश्नों पर भी लगातार विचार किया है। कहा जा सकता है कि उनकी उपस्थिति प्रतिबद्धता और सहृदयता के विलक्षण संयोग की उपस्थिति है। जीविका के लिए अध्यापन का मार्ग चुनने वाले मैनेजर पाण्डेय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर रहे हैं। इसके पूर्व बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक रहे।

I-rate ang e-book na ito

Ipalaam sa amin ang iyong opinyon.

Impormasyon sa pagbabasa

Mga smartphone at tablet
I-install ang Google Play Books app para sa Android at iPad/iPhone. Awtomatiko itong nagsi-sync sa account mo at nagbibigay-daan sa iyong magbasa online o offline nasaan ka man.
Mga laptop at computer
Maaari kang makinig sa mga audiobook na binili sa Google Play gamit ang web browser ng iyong computer.
Mga eReader at iba pang mga device
Para magbasa tungkol sa mga e-ink device gaya ng mga Kobo eReader, kakailanganin mong mag-download ng file at ilipat ito sa iyong device. Sundin ang mga detalyadong tagubilin sa Help Center para mailipat ang mga file sa mga sinusuportahang eReader.