Sheeghra Kalyankari Kalkhand

· Booksclinic Publishing
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आकर्षक सौन्दर्य पुण्यों से मिलता है, कैसा पुण्य ? - जिस नारी या नर ने पूर्व जन्म में गुप्त रूप से स्वर्ण दान या गुप्त रूप से किसी जरुरतमंद को या भांजी की गुप्त रूप से आर्थिक सेवा की हो और दान का डंका न बजाया हो उसे आकर्षक कद काठी और आकर्षक रूप मिलता है। पर दान के बाद नाते रिस्तेदार या किसी से भी कहने पर आधा पुण्य कम हो जाता है। और रूप में निखार जीवन साथी के प्रेम से आता है पर स्वरूप बोध केवल ब्रह्मज्ञानी की कृपा से होता है। स्वरूप बोध ही विष्णु या शिव के आनन्द के समान आनंदी बनाता है जिससे दुख या शोक नष्ट हो जाते हैं पर सकाम भाव से दान करने पर भले ही अगले जन्म में रूप लावण्य, धन और ऐश्वर्य आदि आ जायें पर चिन्ता नहीं मिटती। फिर वह ( रूपवती या धनाढ्य) यदि सत्संग से हीन रहा तो उसका रूप उसे पतन की ओर ले जाता है तथा धन से अहंकार होने से वह गरीब लोगों के अपमान करने से अगले जन्म में घोर दरिद्र भी बन जाता है इस कारण सकाम पुण्य के फल उदय हो तो ( सब कुछ भौतिक सुविधायें मिलने पर ) उस कालखण्ड में मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि समय सदा के लिए एकसा ( समान ) नहीं रहता और वह पुण्यभोग भी सभी को एक सीमा के अंदर ही मिलता है। पुण्यों के औसत से ही भोग का कालखण्ड निर्धारित होता है। अतः जो लोग दुखी ( दरिद्र, रोगी , तनावग्रस्त, बचपन में ही मातापिता से विहीन, बेरोजगार आदि ), हैं वे समझ लें कि निश्चित ही पूर्व जन्म में हमसे भयंकर अपराध या पाप हुआ है । बिना पाप के तो ठोकर तक नहीं लगती पर पापों का क्षय भी होता है।

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