Adarsh Jivan Ke Liye Vichar Niyam: Jeevan Mulya Aur Prabhavshali Jeevan

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नींव नाइन्टी + टॉप टेन + छिपा शून्य = १००% आदर्श जीवन

एक ‘सुखी, सफल और आदर्श जीवन’ जीना ऐसा सपना है जिसे आप आज के समय में भी हकीकत में बदल सकते हैं, बस जरुरत है कुदरत के अटल विचार – नियमों को जानकार उसे जीवन में उतारने की। यह पुस्तक आपको यही कला सिखाती है। इसे पढ़कर आप जानेंगे –

* विचार नियमों को अपनाकर सफलता के लिए जरुरी आदर्श गुणों (विश्वसनीयता, मैच्युरिटी, निरंतरता इत्यादि) का विकास कैसे करें?
* अपने विकास के लिए सही संघ का चुनाव क्यों और कैसे करें?
* आपके जीवन में टॉप तेन (बाहरी पर्सनैलिटी) की असली भूमिका क्या है, इसका सही लाभ कैसे लें?
* आपके अंदर छिपा वह ‘शून्य’ क्या है जिसे अनुभव से जानने के बाद आप अपने जीवन का उच्चतम लक्ष्य पा सकते हैं?

आइए, इन रहस्यों को जानकार अपने जीवन को ‘सुखी, सफल, आदर्श जीवन’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ें।

Ratings and reviews

4.2
61 reviews
Arun kumar Pujari
June 28, 2023
Good book. This will guide you to live a good life.
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Ramning Parlekar
September 7, 2017
Best book for teenagers. Must read. *************************************************************************
135 people found this review helpful
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Laxman Solankey
November 3, 2018
It is very helpful book
56 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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