Swami Vivekanand [Author] द्वारा रचित यह रचना शब्दों से अधिक भावनाओं का संवाद है—जो सीधे हृदय में उतरता है।
यह पुस्तक केवल घटनाओं का क्रम नहीं, बल्कि उन विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति है जो हमें अपने भीतर झाँकने को प्रेरित करती है।
Gyanyoga में जीवन के संघर्ष, अपनापन, और आत्मबोध की झलक मिलती है, जो इसे केवल पढ़ने लायक नहीं, बल्कि अनुभव करने योग्य बनाती है।
यह कृति उन पाठकों के लिए है जो साहित्य में गहराई, संवेदना और आत्मीयता की खोज करते हैं।
Gyanyoga एक पुस्तक नहीं, अंतरमन से जुड़ने का माध्यम है।