केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार का शोधग्रंथ 'बालश्रम उन्मूलन' स्वतंत्र पुस्तक के रूप में मध्य प्रदेश के सागर क्षेत्र में मौजूद होटल व्यवसाय से जुड़े बालश्रमिकों के जटिल जीवन की गाथा को उकेरने के साथ ही देश के अंदर बालश्रमिकों के लिए नीति-निर्माण का मानक सिद्ध हो सकता है।
इस पुस्तक में बालश्रमिकों के स्वास्थ्य, उनके ऊपर कार्य के दबाव, साफ-सफाई तथा स्वच्छता की कमी आदि व्यापक विषयों पर शोध सर्वे के निष्कर्ष अत्यंत उपयोगी हैं, जो देश में बालश्रम उन्मूलन के लिए एक दिशा-दर्शन का कार्य करेंगे।
डॉ. वीरेंद्र कुमार
मध्य प्रदेश के सागर जिले में जन्म। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से जुड़कर समाजसेवा करते हुए डॉ. हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय सागर से अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर उत्तीर्ण कर यहीं से बालश्रम पर पीएच.डी. की।
संघ के समर्पित स्वयंसेवक वीरेंद्रजी आपातकाल में मीसा के अंतर्गत 16 महीने जेल में रहे। 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के जिला संयोजक रहने के साथ ही पार्टी संगठन के विभिन्न पदों पर रहे। भाजपा के राज्य प्रतिनिधि और भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष आदि रहे। वर्ष 1996 में डॉ. वीरेंद्र कुमार पहली बार सागर लोकसभा क्षेत्र से 11वीं लोकसभा के लिए सांसद निर्वाचित हुए और यह क्रम वर्तमान 18वीं लोकसभा तक निरंतर जारी है। उपरोक्त कालखंड में डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सागर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया तत्पश्चात् टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का निरंतर प्रतिनिधित्व करते चले आ रहे हैं। इनके इतने लंबे संसदीय जीवन में ऑस्ट्रेलिया, चीन, मंगोलिया, रूस और थाईलैंड जैसे देशों की यात्राएँ भी शामिल हैं।
3 सितंबर, 2017 को मोदी सरकार में केंद्रीय महिला और बाल विकास तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री बनाए गए। 2019 में 17वीं लोकसभा के सबसे वरिष्ठ निर्वाचित सदस्य होने के नाते उन्हें प्रोटेम स्पीकर चुना गया। 7 जुलाई, 2021 को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया। 9 जून, 2024 को पुनः मोदी सरकार में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मंत्री का दायित्व मिला।