क्या आप शोर में हैं, लेकिन भीतर सन्नाटा है?
क्या आप दूसरों से जुड़े हैं, लेकिन खुद से कटे हुए महसूस करते हैं?
"धुंध में दिखता सच" एक साधारण किताब नहीं, बल्कि एक भीतर लौटने की यात्रा है —
उन सवालों की तरफ जो हम अक्सर दबा देते हैं,
उन सच्चाइयों की ओर जो धुंध के पीछे छुपी होती हैं।
यह किताब उन लोगों के लिए है जो:
लगातार भाग रहे हैं लेकिन थक चुके हैं
बाहर सब कुछ है, पर अंदर अधूरापन है
जीवन को सिर्फ चलाना नहीं, समझना और जीना चाहते हैं
मौन, बेचैनी और आत्म-संदेह के पार एक सच्चे जुड़ाव की तलाश में हैं
इसमें आपको मिलेंगी:
गहरे चिंतन की कहानियाँ
जीवन की उलझनों को सुलझाने वाली आत्मिक अंतर्दृष्टि
और ऐसे विचार जो आपको खुद से मिलवाएँगे — बिना दिखावे, बिना शोर के
अगर आप खुद से फिर जुड़ना चाहते हैं,
तो यह किताब आपका आइना भी है और आपका रास्ता भी।
एक नई शुरुआत की खोज — वहीं से जहाँ आप अभी हैं।
शाकिर अमीन एक खोजी लेखक हैं जो जीवन के शोर में छिपी खामोशी और आत्मा की गहराइयों में छुपे सच को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
उन्होंने यह पुस्तक केवल विचारों के लिए नहीं, बल्कि उन पाठकों के लिए लिखी है जो भीतर से कुछ महसूस करना चाहते हैं — कुछ ऐसा जो उन्हें खुद से जोड़ सके।
शाकिर की लेखनी आधुनिक जीवन की उलझनों को सादगी, संवेदना और आत्मिक दृष्टि से देखने की एक कोशिश है।
वे लेखन को एक साधना मानते हैं — और इस किताब के माध्यम से उन्होंने अपने अनुभव, चिंतन और आत्मा की पुकार को शब्दों में ढाला है।