बीसवीं सदी की शुरुआत में व्यवहारवाद शैक्षिक मनोविज्ञान एक विषय के रूप में आकार लेने लगा। उन दिनों के मनोवैज्ञानिक सीखने की प्रक्रिया को समझने में व्यस्त थे। वे एक सिद्धांत के साथ आए जो विभिन्न जानवरों के व्यवहार को ध्यान में रखता था। विभिन्न देशों के कई मनोवैज्ञानिकों ने इस विकास में योगदान दिया।
लेखक राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के निवासी है। इनकी शिक्षा दीक्षा राजकीय स्नातकोत्तर महाविधालय सवाई माधोपुर में हुई है। लेखक विज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त है। साथ ही राजस्थान विश्वविधालय जयपुर से शिक्षा शास्त्र एवं वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त है। इन्हे शिक्षा के क्षेत्र में 05 वर्षों के अध्यापन का अनुभव प्राप्त है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में इनके आलेख प्रकाशित हो चुके है। उच्च प्राथमिक स्तर पर विधार्थियों की शैक्षणिक स्थिति का मनोवैज्ञानिक अध्ययन नामक शोध पत्र इनके द्वारा तैयार किया गया है। जो कि प्रकाशनाधीन है।