Nautapa Ki Laghu Kathayen

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सनातन पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ के महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के नौ दिन पहले सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर नौतपा की शुरू हो जाते हैं। ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होकर वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रहता है, तब नौतपा होता है। इन 9 दिनों तक सूर्य पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है। इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिनों तक रहता है, लेकिन शुरुआत के 9 दिनों में गर्मी बहुत ज्यादा होती है। सूर्य का तापमान 9 दिनों तक सबसे अधिक रहता है, इसलिए 9 दिनों के समय को ही नौतपा कहा जाता है।

          इन नौ दिनों में बारिश न हो और ठंडी हवा न चले तो यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी। इस दौरान सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मानसून गर्भ में जाता है और नौतपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है। सूर्य 12 राशियों, 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है, उसके प्रभाव का अस्त कर देता है।

        विदेशों में नहीं आता नौतपा। है न आश्चर्य की बात। नौतपा केवल भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में, एक पारंपरिक धारणा है। यह नौ दिनों की अवधि है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और भीषण गर्मी पड़ती है। यह धारणा भारत के ज्योतिषीय और कृषि परंपराओं में जुड़ी हुई है। विदेशों में, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां भारत की जलवायु और कृषि पद्धतियाँ समान नहीं हैं, नौतपा की अवधारणा और महत्व नहीं होता है।

         खेती किसानी के लिए ये दिन खास होते हैं. माना जाता है कि इन दिनों में अगर देश में धूप खूब अच्छी तपे तो देश में बढ़िया मानसून आता है और नवतपा या नौतपा के दिनों में बारिश होने का मतलब है कि मानसून कमजोर या देरी से आने वाला हो सकता है।

        मानसून की राह देखते किसान मानते हैं कि नौतपा खूब तपा तो उस साल बारिश जमकर होगी। इसके पीछे वह पुरानी मान्यताओं का हवाला देते हैं जिसमें कहा गया है -

                   तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय। 

        इसके विपरीत मौसम विभाग और मौसम वैज्ञानिक नौतपा को मान्यता नहीं देते। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार हर साल मई के आखिर और जून के पहले हफ्ते में गर्मी ज्यादा पड़ना शुरू होती है। इस बढ़ती गर्मी का कारण है सूर्य की स्थिति बदलना। इस कालखंड में सूर्य घूमते हुए मध्य भारत के ऊपर आ जाता है और जून में कर्क रेखा के पास पहुंच जाता है। इस दौरान यह 90 डिग्री की पोजिशन में होता है। जिससे किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। इसी कारण तापमान बढ़ जाता है। यह बढ़ा हुआ तापमान कितने दिनों तक एक समान रहेगा इस विषय में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

        भारतीय सामाजिक मान्यता कि ज्यादा गर्मी पड़ने से मानसून अच्छा ही होगा, का समर्थन मौसम वैज्ञानिक नहीं करते। उनके अनुसार ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि यदि भीषण गर्मी पड़ने के बाद बारिश भी अच्छी होगी।

         वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी तेज होने से मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र निर्मित होता है, इसे हीट लो कहा जाता है। यह मानसून को सक्रिय करने में मददगार होता है। लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि अधिक गर्मी पड़ने से मानूसन भी अच्छा होगा।

        मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य की स्थिति बदलना एक सामान्य प्रक्रिया है और ज्योतिष में इसे नौतपा नाम दे दिया गया है। इन दिनों में 45 से 48 डिग्री तक तापमान पहुंचना सामान्य बात है। राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों का तापमान 48 डिग्री से अधिक पहुंच जाता है।

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DR Sandeep Kumar Sharma

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