Atharvved Ka Madhu

· Vani Prakashan
4.7
3 reviews
Ebook
232
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अथर्ववेद की मधु अभीप्सा गहरी है। यह सम्पूर्ण विश्व को मधुमय बनाना चाहती है। सारी दुनिया में मधु अभिलाषा का ऐसा ग्रन्थ नहीं है। कवि अथर्वा वनस्पतियों में भी माधुर्य देखते हैं। कहते हैं, “हमारे सामने ऊपर चढ़ने वाली एकलता है। इसका नाम मधुक है। यह मधुरता के साथ पैदा हुई है। हम इसे मधुरता के साथ खोदते हैं। कहते हैं कि आप स्वभाव से ही मधुरता सम्पन्न हैं। हमें भी मधुर बनायें।” स्वभाव की मधुरता वाणी में भी प्रकट होती है। प्रार्थना है कि हमारी जिह्वा के मूल व अग्र भाग में मधुरता रहे। आप हमारे मन, शरीर व कर्म में विद्यमान रहें। हम माधुर्य सम्पन्न बने रहें। यहाँ तक प्रत्यक्ष स्वयं के लिए मधुप्यास है। आगे कहते हैं, “हमारा निकट जाना मधुर हो। दूर की यात्रा मधुर हो। वाणी में मधु हो। हमको सबकी प्रीति मिले।” जीवन की प्रत्येक गतिविधि में मधुरता की कामना अथर्ववेद का सन्देश है।

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4.7
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Md Arif Ansari
February 1, 2025
Fahd
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About the author

हृदयनारायण दीक्षित का जन्म ग्राम लउवा, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनकी शिक्षा एम.ए. अर्थशास्त्र है। 1972 में जिला परिषद् उन्नाव के सदस्य रहे। आपातकाल के दौरान (1975-1977) 19 माह जेल में रहे। उन्नाव जनपद में पुलिस व प्रशासनिक अत्याचार, स्थानीय, प्रदेशीय समस्याओं को लेकर लगातार आन्दोलन, पदयात्राएँ, जनअभियान किया है। वर्ष 1981 से अब तक भारतीय आदर्श ऐंग्लो संस्कृति इण्टर कालेज, पुरवा, उन्नाव के प्रबन्धक हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय कन्या इण्टर कालेज मवई, उन्नाव के संस्थापक प्रबन्धक हैं। सम्प्रति सदस्य विधान सभा (166 भगवनत नगर उन्नाव) व मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, उत्तर प्रदेश । वर्तमान में अध्यक्ष, विधान सभा उत्तर प्रदेश हैं। पुरस्कार व सम्मान : हृदयनारायण दीक्षित और उनकी पत्रकारिता पर शोध तथा पीएच.डी. पत्रकारिता, मध्य प्रदेश सरकार का गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, राष्ट्रधर्म का भानु प्रताप शुक्ल पत्रकारिता सम्मान, राजस्थान के छोटी खाटू पुस्तकालय का दीनदयाल उपाध्याय सम्मान। प्रकाशित कृतियाँ : ऋग्वेद और डॉ. रामविलास शर्मा, मधुविद्या, सांस्कृतिक राष्ट्रदर्शन, भारतीय संस्कृति की भूमिका, भगवद्गीता, सांस्कृतिक अनुभूति राजनीतिक प्रतीति, भारतीय समाज राजनीतिक संक्रमण, जम्बूद्वीपे भरतखण्डे, संविधान के सामन्त, पं. दीनदयाल उपाध्याय दर्शन, अर्थनीति, राजनीति, तत्त्वदर्शी पं. दीनदयाल उपाध्याय, भारत के वैभव का दीनदयाल मार्ग, अम्बेडकर का मतलब, राष्ट्र सर्वोपरि, भारत की राजनीति का चारित्रिक संकट, सुवासित पुष्प श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संसदीय भाषणों का संकलन सम्पादन, राष्ट्राय स्वाहा, ऊँ, शिव, सोचने की भारतीय दृष्टि, भारतीय अनुभूति का विवेकानन्द, मधुरसा। विभिन्न दैनिक पत्रो-पत्रिकाओं में लेखन, अब तक 4 हज़ार आलेख प्रकाशित।

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