KAVYANKUR GEETANJALI

· Praveen Kumar Shrivastava
5,0
2 reviews
E-boek
120
Pagina's
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Over dit e-boek

प्रस्तुत पुस्तक काव्यांकुर गीतांजलि में मेरे लेखन की प्रारम्भिक रचनाओं को सम्मिलित किया गया है जैसा की मैं प्राक्कथन मैं स्पष्ट कर चुका हूँ | एक बात और मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि पुस्तक में गीत गज़ल कवितायें जो भी रचानाएँ हैं यह पूर्णतया मुक्त छंद है | जैसा कि काव्यांकुर गीतांजलि नाम से ही स्पष्ट होता है | इन रचनाओं से प्रेरणा मुझे स्वयं मिलती है कि मैं पूर्व में कहाँ से अपने सफ़र पर चला था और आज माँ शारदे की कृपा से सफलता प्राप्त कर रहा हूँ, साथ ही मुझे इन रचनाओं में भी आनंद की अनुभूति होती है | गुरुजनों के आदेश से ही मुझे अपनी इन रचनाओं को आपके समक्ष प्रस्तुत करने का साहस मिला मुझे विश्वास है कि ये रचनायें आपको भी पसंद आयेंगी |

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Over de auteur

मेरा जन्म उत्तर प्रदेश में महोबा जिले के महुआ ग्राम में 5 सितम्बर सन 1985 को एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ | माँ का नाम सुशीला तथा पिता का नाम अवधनारायण श्रीवास्तव है | पिता सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक थे, और माँ बाल विकास परियोजना में आँगनवाड़ी कार्यकत्री थीं | माँ की धार्मिक प्रवृति के कारण ही मेरे विचारों को गति मिली | उस समय परिवार की स्थिति ठीक न होने के कारण मेरी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई | पांचवीं कक्षा के बाद हम हमीरपुर जिले के राठ कसबे में आ गये | कक्षा 6 से दसवीं तक की शिक्षा किसी तरीके से माता पिता ने अथक परिश्रम कर पूर्ण करायी, क्योकि मेरे अलावा मेरे दो छोटे भाई भी थे | अतएव में भी पिता के साथ उनका सहयोग करता था | दसवीं कक्षा से मैंने अखबार बेचने का कार्य किया, और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अध्यापन कार्य करने लगा | आर्थिक समस्याओं के चलते तीन वर्ष तक पढाई अवरुद्ध हो गयी | तत्पश्चात एम. ए. हिंदी,संस्कृत की शिक्षा पूर्ण की | कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास, गीत, भजन, निबन्ध आदि हिंदी गद्य एवं पद्य दोनो विधाओं पर लेखन कार्य निरंतर चल रहा है |आप सम्मानीय पाठकों तक मेरी रचनायें पहुँचें और आपको उनसे कुछ प्राप्त हो सके यही मेरा प्रयास है | मुझे विश्वास है कि आप सभी को यह पुस्तक बेहद पसंद आयेगी | 



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