Kavi Lakshya Aur Rachnatmak Pravritiyan : Mahakavi Soordas

· Vani Prakashan
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216
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About this ebook

विवेचन किया गया है। इसमें मानवीय सौन्दर्य के साथ आराध्य के दिव्य सौन्दर्य का भी वर्णन है। सौन्दर्य की उदात्तता का सौन्दर्य भी खोजने का प्रयास किया गया है। राधा की नित्य नवीनता का परिचय देकर सूर ने जिस सौन्दर्य को वाणी दी है, उसका कोई सानी नहीं है। सौन्दर्य बोध के निर्धारक तत्त्वों के आधार पर सूर की काव्यवस्तु और भावाभिव्यंजना को भक्ति और सौन्दर्य के सन्दर्भ में अभिव्यंजित करना परमावश्यक है। प्रायः हम सूर को वात्सल्य और शृंगार रस के सम्राट के रूप में ही व्याख्यायित करते आये हैं जबकि उनका मूल्यांकन मधुरा भक्ति और सौन्दर्य चेतना के सन्दर्भ में किया जाना अत्यावश्यक है। तभी हम कवि के मूल लक्ष्य और उसकी रचनात्मक प्रवृत्तियों से साधारणीकृत हो पायेंगे। मानवीय संस्पर्शों के साथ सौन्दर्य के आलोक में वस्तु, भाव और कलात्मक बोध की अनुभूति कराना इस पुस्तक का उद्देश्य है। सौन्दर्य के समस्त सोपानों का अवगाहन करने में मेरी लेखनी कितनी सफल हो पायी है, इसका निर्णय तो सौन्दर्यचेत्ता विद्वत्जन ही कर पायेंगे।

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About the author

प्रो. मंजुला राणा का जन्म सन् 1964 में एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ, जहाँ सामाजिक सरोकारों से इनका जन्म से रिश्ता बँधता चला गया। प्रारम्भ से ही प्रखर बुद्धि की धनी प्रो. राणा का शैक्षिक जीवन वरीयता क्रम से शीर्ष पर रहा, जहाँ एम.ए. (हिन्दी) में स्वर्ण पदक प्राप्त करके ये तत्काल गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उत्तराखण्ड) में प्रवक्ता के पद पर चयनित हुईं तथा अध्ययनअध्यापन से अपने कर्म-क्षेत्र की शुरुआत करते हुए वर्तमान में हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर के 'हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग' में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं। प्रो. राणा वर्ष 2010-2016 तक उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग में सदस्य के पद को भी सुशोभित कर चुकी हैं तथा वर्तमान में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली की सदस्य हैं। हिन्दी साहित्य जगत में इनके द्वारा लिखित अनेक पुस्तकें अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैंप्रकाशित पुस्तकें : दिनकर के काव्य में रस-योजना, आँसू का भाषिक सौन्दर्य, व्यावहारिक एवं प्रयोजनमूलक हिन्दी, उत्तरांचल का हिन्दी साहित्य, उजास कहाँ है (कहानी संग्रह), दसवें दशक के हिन्दी उपन्यासों में साम्प्रदायिक सौहार्द, मंजुला राणा की पाँच प्रतिनिधि कहानियाँ, कवि लक्ष्य और रचनात्मक प्रवृत्तियाँ : महाकवि सूरदास। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित होकर आप राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय फलकों पर अपनी पुरजोर शैक्षिक दस्तक देती रहती हैं।

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